मुंबई. नास्त्रेदमस फ्रांस के 16वीं सदी के भविष्यवक्ता थे, जिन्होंने गीत-कविताओं से भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन किया था. ऐसे ही भारत के नास्त्रेदमस- मावजी महाराज हैं, जिनके भविष्यवाणी गीत साकार हो रहे हैं.
दक्षिण राजस्थान में माही, सोम और जाखम नदियों के संगम पर आदिवासियों का कुंभ औदिच्यधाम बेणेश्वर है, जहां संत मावजी महाराज ने तपस्या की और कई धर्मग्रंथ लिखे, जिन्हें मावजी महाराज के चौपड़े कहा जाता है. यह वही क्षेत्र है जहां विभिन्न चुनावों के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी की विशाल सभाएं हुई थी.
मावजी महाराज के प्रमुख पांच चौपड़ों में से मेघसागर हरि मंदिर साबला में, सामसागर शेषपुर में, प्रेमसागर पुंजपुर में और रतनसागर बांसवाड़ा शहर के विश्वकर्मा मंदिर में सुरक्षित है. अनंत सागर चौपड़ा कहां है, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है. इन चौपड़ों में भविष्यवाणियां, ज्ञान-विज्ञान, उपदेश, भौगोलिक परिवर्तन, रासलीला, कृष्णलीलाओं के रंगीन चित्र सहित विविध जानकारियां हैं.
मावजी महाराज की भविष्यवाणियां आज भी गाई जाती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि उनकी की गई भविष्यवाणियां गुजरते समय के साथ साकार हो रही हैं- डोरिये दिवा बरेंगा (तार पर बल्ब जलेंगे), वायरे वात थायेगा (हवा से बात होगी- मोबाइल), परिये पाणी वेसाये (पानी बेचा जाएगा), गऊं-चोखा गणमा मले (गेहूं-चावल राशन से मिलेंगे), बडद नो भार उतरसे (बैलों के कंधे से भार उतरेगा) आदि.
उल्लेखनीय है कि मावजी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1771 में बसंत पंचमी पर साबला में दाड़म ऋषि के परिवार में हुआ था. ध्यान, ज्ञान और तपस्या के बाद वे बेणेश्वर धाम पर आए और चैपड़ों की रचना की थी. इस वक्त बेणेश्वरधाम में अच्युतानंद महाराज, मावजी महाराज की धर्म परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं!
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)