अभिमनोज
कई बार किसी शिकायत के आधार पर सरकारी अधिकारी, कर्मचारी का बतौर सजा तबादला कर दिया जाता है, लेकिन यह तरीका सही नहीं माना जा सकता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की पीठ का एक ऐसे ही मामले में कहना है कि- सजा के रूप में किया गया स्थानांतरण पूरी तरह से अवैध है.
खबरों की मानें तो.... प्रयागराज निवासी विद्युत विभाग में सहायक अभियंता के तबादले को रद्द करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की और कहा कि- अधिकारी को उसी जगह काम करने दिया जाए, जहां वह पहले से था.
खबरें हैं कि.... सहायक अभियंता के पद पर गोरखपुर में तैनात विजय यादव का कहना था कि- उनकी पत्नी प्रयागराज के मालवीय नगर स्थित गौरी पाठशाला इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में कार्यरत थीं, पति-पत्नी एक स्थान पर रहें, इस आधार पर 28 जून 2024 को उनका तबादला गोरखपुर से प्रयागराज किया गया था.
इसके बाद 30 जून 2024 को उनको प्रयागराज के कटेहरा विद्युत वितरण उपखंड स्थानांतरित कर दिया गया, फिर कुछ समय बाद उनका प्रतापगढ़ तबादला कर दिया गया, उनके खिलाफ एक शिकायत पर जांच की गई थी, जो गलत पाई गई, बावजूद इसके सजा के रूप में तबादला कर दिया गया.
अदालत का कहना था कि- स्थानांतरण आदेश सेवा का एक हिस्सा है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन.... उच्च अधिकारियों की ओर से दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया तबादला द्वेषपूर्ण है, लिहाजा इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है, इसके बाद अदालत ने स्थानांतरण आदेश रद्द कर रजिस्ट्रार (अनुपालन) को मुख्य अभियंता, जिला डिवीजन-द्वितीय, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, वाराणसी को आदेश के बारे में सूचित करने को कहा है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-