पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में फर्जी दस्तावेज पर शासकीय विभागों में नौकरी कर रहे तीन युवकों सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. लम्बे समय से फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर नौकरी कर रहे लोगों के मामले में एसडीएम ने जांच की तो यह तथ्य सामने आए है.
बताया गया है कि लोकसेवा केन्द्र के दो कर्मचारियों द्वारा फर्जी प्रमाण-पत्र बनाए गए थे, इनके खिलाफ भी शिकायत की गई थी, जिसकी जांच के बाद खुलासा हुआ है, एसडीएम की शिकायत पर रांझी पुलिस ने इन सभी पांच क ी तलाश शुुरु कर दी है. ये तीनों कर्मचारी जबलपुर, भिंड व भोपाल में अलग अलग विभागों में पदस्थ रहे. एसडीएम रघुवीर सिंह ने तीनों के फर्जी प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए है. तीनों जाति प्रमाण पत्र गलत दस्तावेज, गलत अंकसूची एवं निवास के पते की गलत जानकारी के आधार पर सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बनाए गए थे. आवेदकों ने जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति या अपने नाम से मिलते-जुलते किसी व्यक्ति की समग्र आईडी का उपयोग किया.
तीनों ने जिस अंकसूची का प्रयोग किया वह अन्य जिलों की है. अनुसूचित जनजाति के लिए अनिवार्य 1950 की स्थिति का निवासी प्रमाण पत्र भी किसी के भी द्वारा संलग्न नहीं किया गया था. फॉर्म के साथ सारे डॉक्यूमेंट लगाने के बाद ही लोकसेवा केन्द्र फॉर्म का रजिस्ट्रेशन कर सकता है. एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी के अनुसार लोकसेवा केंद्र के संचालक अंकित अग्रवाल व कम्प्यूटर ऑपरेटर अर्चना दहिया को आवेदन पत्र अनुविभागीय अधिकारी के सामने पेश करने के बाद उनके निर्णय के अनुसार ही आवेदन पत्र के संबंध में आदेश जारी कराना थे. लेकिन अर्चना दहिया ने आवेदन पत्र सामने पेश ही नहीं किए. उनकी जानकारी के बिना डिजिटल साइन का दुरुपयोग कर जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया. रांझी थाना पुलिस ने मुकेश बर्मन, दिलीप कुमार, सूरज सिंह, अंकित अग्रवाल व अर्चना दहिया के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 34 के तहत मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-