MP: PWD के मुख्य अभियंता पर एक लाख रुपए का जुर्माना, नाराजगी जताते हुए कहा हाईकोर्ट को मूर्ख समझते हो क्या, विभागीय जांच के आदेश

MP: PWD के मुख्य अभियंता पर एक लाख रुपए का जुर्माना

प्रेषित समय :17:17:24 PM / Wed, Mar 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के चीफ इंजीनियर पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जुर्माना की राशि उन्हें अपनी जेब से देनी होगी. जिसे हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति कोष में जमा करना होगा.

यह जुर्माना मुख्य अभियंता एससी वर्मा द्वारा कोर्ट को गुमराह करने पर लगाया है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ने मामले में लगातार कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करते हुए गुमराह करने की कोशिश की है. कोर्ट ने विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि मुख्य अभियंता के खिलाफ विभागीय जांच कर रिपोर्ट पेश करे. अवमानना याचिका बालाघाट निवासी कृष्णकुमार ठकरेले सहित 6 अन्य ने लगाई थी.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहन लाल शर्मा व शिवम शर्मा ने कोर्ट में पक्ष रखा. बताया कि 2 हजार में याचिकाकर्ताओं का विभाग ने टरमेशन कर दिया था. बाद में ये लोग लेबर कोर्ट गए, जहां से उन्हें नियमित करने के आदेश देते हुए सेवा से बहाल करने कहा था. 7 अक्टूबर 2016 की नीति के स्थान पर रामनरेश रावत एवं उमादेवी के न्याय दृष्टांत के अनुरूप नियमितिकरण का लाभ दिए जाने के निर्देश हाईकोर्ट ने विभाग को दिए थे. इस मामले में मुख्य अभियंता एससी वर्मा ने 19 सितंबर 2024 को आदेश जारी करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता नियमितिकरण की पात्रता नहीं रखते हैं.

मुख्य अभियंता वर्मा ने वित्त विभाग के एक परिपत्र का हवाला देते हुए कहा था कि सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित कर दिया है. हाईकोर्ट ने जब इस जवाब का अवलोकन किया तो पाया कि मुख्य अभियंता एससी वर्मा ने कोर्ट को गुमराह करते हुए धोखा दे रहे हैं. इस मामले में एक दिन पूर्व भी सुनवाई हुई थी. जिसमें कि हाई कोर्ट ने बेहद नाराजगी जताते हुए तल्ख टिप्पणी में कहा था कि विभाग के पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ राजेंद्र मेहरा को व्यक्तिगत रूप से इस न्यायालय के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपस्थित रहने के निर्देश दिए जाते हैं. वे अपने साथ याचिकाकर्ता के प्रकरण की संपूर्ण फाइल भी लेकर 25 मार्च को उपस्थिति सुनिश्चित करानी होगी.

मामला सर्वप्रथम सुना जाएगा. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दो सप्ताह के भीतर पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी मुख्य अभियंता को दिए थे. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो अगली सुनवाई के दौरान इंजीनियर इन चीफ पुन: हाजिर रहेंगे. 25 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व आदेश के पालन में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर-इन.चीफ कृष्ण पाल सिंह राणा भी कोर्ट में हाजिर हुए. अप्रैल माह में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

जिसके जरिए 7 अक्टूबरए 2016 की नीति के स्थान पर उमादेवी के न्याय दृष्टांत के अनुरूप नियमितिकरण का लाभ दिए जाने की मांग की गई थी. इस तथ्य को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2016 की नीति के अंतर्गत दिए गए लाभ को निरस्त करते हुए अपेक्षित लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने साफ किया था कि याचिकाकर्ता श्रम न्यायालय से जीत चुका है अतरू उमादेवी के न्याय दृष्टांत के अनुरूप नियमितिकरण के लाभ का पात्र है. 60 दिन के भीतर यह लाभ प्रदान कर दिया जाए. लेकिन 60 दिन बीतने के बावजूद लाभ नहीं दिया गया. इसीलिए अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-