पलपल संवाददाता, जबलपुर/भोपाल. केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा 10 करोड़ की मानहानि के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. अब 23 अप्रैल को सुनवाई होगी. पिछले हफ्ते 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. जिसमें विवेक तन्खा की तरफ से दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि मामले में कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान को अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत पेशी से छूट दी थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ समन्वित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा व मानहानिकारक अभियान चलाया और मध्यप्रदेश में 2021 के पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाया था. बीते 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश व जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने शिवराज व बीजेपी के दो अन्य नेताओं की याचिका पर सुनवाई आज 26 मार्च तक टाल दी थी.
मानहानि को रद्द करने दायर हुई याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 25 अक्टूबर के उस आदेश के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. जिसमें मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि मामले में तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट की तामील पर रोक लगा दी थी. अदालत ने शिवराज चौहान और अन्य भाजपा नेताओं की अपील पर तन्खा से जवाब मांगा था.
शिवराज सिंह चौहान की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी, जबकि तन्खा की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल व अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी पैरवी कर सकते हैं. मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विवेक तन्खा को लेकर एक बयान दिया था. जिसमें उन्हें ओबीसी विरोधी बताया था. इस मामले में विवेक तन्खा ने तीनों नेताओं पर 10 करोड़ रुपए का मानहानि का दावा करते हुए जबलपुर जिला कोर्ट में केस दायर किया था. उन्होंने बताया था कि भाजपा नेताओं ने उन्हें ओबीसी विरोधी बतायाएइससे उनकी छवि धूमिल हुई है. इसके बाद 20 जनवरी 2024 को अदालत ने तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें तलब किया था.
हाईकोर्ट में भाजपा नेताओं ने आरोपों का खंडन करते हुए दलील दी थी कि तन्खा द्वारा संलग्न समाचार पत्रों की कतरनें मानहानि की शिकायत का आधार नहीं बन सकतीं और अधीनस्थ अदालत इसका संज्ञान नहीं ले सकती. वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एमपी में पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी. इस दौरान विवेक तन्खा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन व परिसीमन को लेकर पैरवी की थी. भाजपा नेताओं ने विवेक तन्खा को ओबीसी विरोधी बताते हुए उनके खिलाफ बयानबाजी की थी. विवेक तन्खा ने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह से सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही थी. लेकिन तीनों नेताओं ने माफी नहीं मांगी. जिसके बाद विवेक तन्खा ने कोर्ट में उनके खिलाफ 10 करोड़ रुपए का मानहानि केस दायर किया था. जिस पर सुनवाई करते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट जबलपुर ने ये मुकादमा दर्ज किया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-