पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाई कोर्ट ने स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट जबलपुर के अधूरे कार्यों पर नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की है. अदालत ने मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य सेवा निगम के एमडी व चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया है.
2023 में एडवोकेट विकास महावर द्वारा दायर जनहित याचिका में बताया गया था कि 9 साल पहले 84 करोड़ रुपये स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट के लिए स्वीकृत किए गए थे. लेकिन अभी तक आवश्यक उपकरण नहीं खरीदे गए. इससे कैंसर पीडि़तों को इलाज के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव व लोक स्वास्थ्य सेवा निगम के एमडी को अगली सुनवाई में रिकॉर्ड के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं.
कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि उपकरण खरीदने के लिए तीन बार टेंडर निकाले गए लेकिन वे रद्द क्यों हुए अब मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 2016 में उपकरण खरीदी के लिए 84 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे इसके बाद भी अब तक संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाए.
शासन ने बताया कि तकनीकी कारणों से दो-तीन बार निविदाएं रद्द हुईं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मार्च 2023 में अस्पताल भवन सौंप दिया गया, लेकिन उपकरणों की आपूर्ति नहीं हुई. अन्य शहरों के सरकारी अस्पतालों में ये उपकरण उपलब्ध हैं लेकिन जबलपुर को अब तक नहीं मिले. हाई कोर्ट ने मामले में मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य सेवा निगम के एमडी को पक्षकार बनाते हुए 17 अप्रैल को निविदा निरस्त होने के कारणों की विस्तृत जानकारी पेश करने के निर्देश दिए हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-