पलपल संवाददाता, मऊगंज. एमपी के मऊगंज के गडरा गांव में पिता व दो बच्चों के शव मिलने के बाद से मातम हैं. परिजन व ग्रामीणों में पुलिस को लेकर काफी गुस्सा है. उन्होंने पुलिस कर्मियों पर हत्या का आरोप लगाया था. मामले की सीबीआई जांच व एसडीओपी को हटाने की मांग को लेकर अड़ गए थे. उन्होंने अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया था.
कलेक्टर व एसपी के काफी देर समझाने के बाद वे अंतिम संस्कार के लिए माने. परिजन की मांग पर एसडीओपी अंकिता सूल्या को हटा दिया गया है. उन्हें आईजी ऑफिस अटैच किया है. वहीं कलेक्टर ने कहा कि मामले की मजिस्ट्रियल जांच होगी. आज पोस्टमॉर्टम के बाद जब पुलिस व प्रशासन के अधिकारी एंबुलेंस से शव लेकर गांव पहुंचे तो परिजन ने एंबुलेंस को घेर लिया और सीबीआई जांच की मांग को लेकर अड़ गए. सूचना मिलने के बाद कलेक्टर संजय जैन और एसपी दिलीप जैन मौके पर पहुंचे. पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना के बीच उन्होंने परिजन से चर्चा की. 4 बजे परिजन अंतिम संस्कार के लिए माने.
मृतक के बेटे पवन का कहना था कि जब तक सीबीआई जांच की घोषणा नहीं होतीए अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. परिजन ने एसडीओपी अंकिता सूल्या को निलंबित करने की मांग भी की. उनका आरोप था कि एसडीओपी अंकिता और अन्य पुलिसकर्मियों ने उनका मोबाइल छीन लिया था. घर के अंदर भी घुसने नहीं दिया. गौरतलब है कि गडरा गांव में बीते दिन औसेरी साकेत उम्र 55 वर्ष, उसकी बेटी मीनाक्षी 11 वर्ष व बेटे अमन 8 वर्ष के शव घर में फंदे पर मिले थे. शव पूरी तरह सड़ व गल चुके थे. परिजन ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस ने पिटाई के बाद शव फंदे से लटका दिए. इसी गांव में 15 मार्च को एक युवक सनी द्विवेदी की आदिवासियों ने पीट.पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद हुई हिंसा में एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई थी. 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे. तब से गांव में धारा 144 लागू है और पुलिस बल तैनात हैं.
घर से उठती बदबू से परेशान हुए लोग-
बीते दिन घर के अंदर से बदबू आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी थी. पुलिस गेट खोलकर अंदर गई तो तीन शव फंदे से झूल रहे थे. औसेरी के भाई की पत्नी ने आरोप लगाया था कि पिछले दिनों हिंसा के बाद गांव में सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस ने जेठ से मारपीट की थी. उसी दिन से उन्होंने घर का गेट नहीं खोला. उन्होंने अपने से फांसी नहीं लगाई हैं. इसके लिए पुलिस जिम्मेदार है.
परिजनों ने लगाए आरोप-
कुसुमकली ने बतायाए जेठ व उनके बच्चों के शव मिले हैं. हम दो किलोमीटर दूर रहते हैं. यहां गांव में 15 मार्च को विवाद हुआ था, इसके बाद से कोई घर से बाहर नहीं निकल रहा था. गांव में जो पुलिस तैनात थी वो लोगों को घर में घुसकर मारती थी. महिलाओं को भी पीटा जाता था. पुलिस ने जेठ से भी मारपीट की थी. मृतक औसेरी के परिजन रामकली साकेत ने कहा कि पुलिस कहती थी कि किसी के घर मत जाना. किसी को अपने पास मत बैठाना, हम तुम्हारी सुरक्षा करेंगे. हिंसा के बाद पुलिस ने घर में घुसकर लोगों को पीटा है. छोटे-छोटे बच्चों को उठाकर खेत में फेंक दे रहे थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-