MP : बीजेपी नेता शुभम अवस्थी फर्जी डॉक्टर बनकर 1 साल तक सरकारी अस्पताल में इलाज करता रहा, FIR दर्ज

MP : बीजेपी नेता शुभम अवस्थी फर्जी डॉक्टर बनकर 1 साल तक सरकारी अस्पताल में इलाज करता रहा, FIR दर्ज

प्रेषित समय :13:55:24 PM / Mon, Apr 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर की सिविल लाइंस थाना पुलिस ने रविवार 6 अप्रैल की देर रात भाजपा नेता शुभम अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. यह कार्रवाई जिला कोर्ट के आदेश पर की गई है. आरोप है कि शुभम अवस्थी ने कोरोना काल में आपदा के समय फर्जी डिग्री के आधार पर जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टर बनकर काम किया. वह कोरोना संक्रमण काल के दौरान संदिग्धों के सैंपल इक_ा करता था और कोरोना पीडि़तों के उपचार में भी सहयोग करता था.

शुभम अवस्थी के फर्जीवाड़े का खुलासा उस समय हुआ जब जबलपुर निवासी शैलेन्द्र बारी ने उसकी डॉक्टरी डिग्री को कोर्ट में चुनौती दी. न्यायालय के निर्देश पर सिविल लाइंस पुलिस ने आरोपी शुभम अवस्थी के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया है. फिलहाल शुभम अवस्थी फरार है.

नियुक्ति के लिए पेश की फर्जी डिग्री

कोरोना की पहली लहर (2020–2021) के बाद संक्रमण नियंत्रण के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की संविदा नियुक्ति हुई थी. इसी दौरान शुभम अवस्थी ने आयुष चिकित्सक के रूप में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति पा ली. उसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बीएएमएस की जाली डिग्री प्रस्तुत की और शासकीय स्वशासी आयुर्वेद कॉलेज का छात्र होने का दावा किया. इसके बाद उसने विक्टोरिया जिला अस्पताल में मरीजों का उपचार किया और सरकारी वेतन भी प्राप्त किया.

शिकायत के बाद छोड़ी नौकरी

शैलेन्द्र बारी द्वारा की गई शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई तो शुभम अवस्थी ने स्वास्थ्य विभाग की नौकरी से इस्तीफा दे दिया. जब पुलिस जांच ठंडे बस्ते में चली गई, तब शैलेन्द्र ने न्यायालय में परिवाद दायर किया. कोर्ट की सुनवाई के बाद पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए.

डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर भी फर्जी निकले

पुलिस की शुरुआती जांच में शुभम अवस्थी की बीएएमएस डिग्री जाली पाई गई है. साथ ही, मध्यप्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा बोर्ड का जो पंजीयन क्रमांक उसने प्रस्तुत किया, वह भी किसी अन्य चिकित्सक के नाम पर दर्ज पाया गया. फर्जी चिकित्सक की सेवाएं लेने पर स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. संवेदनशील पद पर नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों की जांच और सत्यापन प्रक्रिया को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है. यह नियुक्ति जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के प्रस्ताव पर हुई थी. ऐसे में जांच की आंच स्वास्थ्य अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है.

दोस्त के साथ हॉस्पिटल गए तो फर्जी डॉक्टर का पता चला

शिकायतकर्ता शैलेन्द्र बारी ने बताया, वह अपने एक दोस्त को लेकर इलाज के लिए जिला अस्पताल गए, जहां उन्हें पता चला कि शुभम अवस्थी नाम के डॉक्टर ने कोरोना काल (2020-2021) के दौरान मरीजों का इलाज किया था और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक साल तक नौकरी की थी. इस संबंध में मैंने जनवरी, 2023 में शिकायत सीएमएचओ, कलेक्टर और एसपी से की गई, लेकिन जब किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई, तो जिला कोर्ट जबलपुर में परिवाद दायर किया गया. यहां भी मामला लंबित रहा. फिर हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई गई. इस पर हाई कोर्ट ने जिला कोर्ट को 60 दिन के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-