MP: जमानत के लिए मुजरिम का अपराधिक रिकार्ड बताना होगा अनिवार्य, एक मई से बदलेगी व्यवस्था, हाईकोर्ट ने प्रारुप जारी किया

जमानत के लिए मुजरिम का अपराधिक रिकार्ड बताना होगा अनिवार्य

प्रेषित समय :16:05:41 PM / Sun, Apr 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर. डिफाल्ट जमानत, अंतरिम जमानत, अग्रिम जमानत सहितत व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मांग करने वाले मुजरिमों को अब जमानत आवेदन के साथ साथ पूर्व में दर्ज हुए अपराधिक मामलों की जानकारी कोर्ट में अनिवार्य  रुप से देना होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर में यह व्यवस्था 1 मई से बदली जा रही है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के आदेश पर प्रिंसिपल रजिस्ट्रार संदीप शर्मा ने इसका प्रारूप जारी कर दिया है.

मुन्नेश बनाम मध्य प्रदेश प्रकरण में यह बात सुप्रीम कोर्ट के सामने आई है कि 3 अप्रैल 2025 को जस्टिस दीपंकर दत्ता व जस्टिस मनमोहन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि आवेदक ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी नहीं दी. जबकि उसके खिलाफ 8 मामले दर्ज थे. डिवीजन बेंच ने मामले पर सुनवाई करने के साथ देशभर के न्यायालयों को आदेश दिया है कि जमानत की अर्जी के साथ पूर्व प्रकरणों की पूरी जानकारी ली जाए. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि एक मई से यह बदलाव किया जा रहा है.

इसके बाद जमानत आवेदन के साथ मुजरिम का आपराधिक रिकॉर्ड अनिवार्य रूप से बताना होगा. सीआरपीसी में साल 2008 में यह संशोधन किया गया था. कई मामलों में मुजरिम पर पहले से केस दर्ज है तो कोर्ट उसकी जमानत अमान्य कर सकता है. अभी जमानत के मामलों में सरकार मुजरिम का आपराधिक रिकॉर्ड देती थी पर अब मुजरिम को खुद देना होगा. इस जानकारी के बगैर जमानत की अर्जी स्वीकार्य ही नहीं की जाएगी. प्रारूप में एफआईआर नंबर, किन धाराओं में केस दर्ज किया गया. किस पुलिस स्टेशन में केस दर्ज है और यह पुलिस स्टेशन किस जिले में है. आदि जानकारी मांगी गई है.

इन मामलों की जानकारी देना होगा अनिवार्य-

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 14 के तहत अस्थायी जमानत, सजा का निलंबन/आपराधिक अपील या कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मांग के लिए किसी अन्य उचित कानूनी उपाय के माध्यम सेए मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में जमानत देने के लिए दायर किए जाने वाले ऐसे सभी आवेदनों में जमानत के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, प्रिंसिपल सीट जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर की खंडपीठों में एक  अक्टूबर 2017 से दायर किए ऐसे सभी आवेदनों में अपेक्षित जानकारी भरना अनिवार्य होगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-