पलपल संवाददाता, जबलपुर। एमपी के जबलपुर में भी फर्जी डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दिए है। कलेक्टर ने कहा है कि फर्जी डिग्री धारकों की जांच कर उनपर कार्यवाही की जाए। इसके अलावा डॉक्टरों की डिग्री व क्लिनिक या हॉस्पिटल के पंजीयन सहित सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाए।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि मध्यप्रदेश उपचारगृह व रूजोपचार रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के तहत सभी निजी क्लीनिकों का पंजीकरण अनिवार्य है। यह नियम एलोपैथीए आयुष व फिजियोथैरेपी चिकित्सा पद्धति वाले सभी क्लीनिकों पर लागू होता है। जबलपुर जिले में अभी 679 क्लीनिक रजिस्टर्ड है। सभी अपंजीकृत क्लीनिक संचालकों को एमपी ऑनलाइन के नर्सिंग होम क्षेत्र पोर्टल पर जाकर पंजीयन कराना होगा। डॉ मिश्रा ने क्लीनिक संचालकों से जल्द से जल्द पंजीयन प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। उन्होने कहा है कि अस्पतालों या क्लीनिकों को पंजीयन के लिए आवेदन के साथ क्लीनिक का नक्शा, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एनओसी, संचालक डॉक्टर की डिग्री, वैध रजिस्ट्रेशन, स्टाफ की शैक्षणिक योग्यताएं व रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र देने होंगे। यदि रेडियोलॉजी क्लीनिक है तो एईआरबी प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज संलग्न करना अनिवार्य होगा। रेडियोलॉजिस्ट एवं पैथोलॉजिस्ट को स्टांप पेपर पर इस आशय का घोषणा पत्र भी पंजीयन आवेदन में संलग्न करना होगा। जिसमें यह स्पष्ट हो कि वे एक समय में केवल एक ही केंद्र में कार्यरत हैं। किसी अन्य प्रयोगशाला या क्लीनिक में सेवां नहीं दे रहे हैं। डॉ मिश्रा ने नागरिकों से भी आग्रह किया है कि जब भी वे किसी क्लीनिक में जाएं तो वहां उसका रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जरूर देखें। यह भी देखें कि वह कब तक वैध है।



