अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने पहली नजर में अपना नजरिया पेश करते हुए कहा है कि- अभियोजन एजेंसियों, पुलिस द्वारा लीगल प्रोफेशनल्स को उनके मुवक्किलों की जानकारी, सलाह के सिलसिले में तलब करना कानूनी पेशे की स्वायत्तता के लिए खतरा है.
खबरें हैं कि.... गुजरात में एक वकील को लोन विवाद के बांड पर राहत पाने वाले मुवक्किल से जुड़े होने के कारण पुलिस द्वारा सेक्शन 179 के तहत तलब किया गया था, वह न तो आरोपित था और न ही कोई गवाह.
इसके बाद वकील ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन खारिज हो गई, तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां अदालत ने उसे तलब करने पर रोक लगा दी और अगले आदेश तक गुजरात राज्य को उसकी ओर से किसी कार्रवाई से रोक दिया.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि- कानूनी पेशा न्याय प्रशासन की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है, वकीलों को उनकी कानूनी प्रैक्टिस के कारण और वैधानिक प्रावधानों के तहत कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, लिहाजा.... यदि जांच एजेंसियों, पुलिस को यह अनुमति दी जाती है कि वे किसी मामले में पक्षकार को सलाह देने वाले बचाव पक्ष के वकील को सीधे तलब करें, तो इससे कानूनी पेशे की स्वायत्तता को बहुत भारी हानि पहुंचेगी और यह न्याय प्रशासन की स्वतंत्रता के लिए भी सीधे चुनौती होगी.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट का साफ कहना है कि- वकील अपने मुवक्किल की जानकारी और दी गई सलाह को गोपनीय रखने के लिए अपने पेशेवर कर्तव्य के अंतर्गत बाध्य हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की बेंच का कहना है कि जो दांव पर है वह है- न्याय प्रशासन की क्षमता और वकीलों की स्वतंत्र और निडर पेशेवर भूमिका निभाने की योग्यता, क्योंकि यह मामला सीधे न्याय प्रशासन को प्रभावित करता है, ऐसे में किसी पेशेवर को, जोकि उस मामले का कानूनी प्रतिनिधि है, जांच एजेंसी, पुलिस के निर्देशों के अधीन लाना पहली नजर में असंवैधानिक प्रतीत होता है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमन, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-आन-रिकार्ड एसोसिएशन अध्यक्ष विपिन नायर से सहयोग मांगते हुए इस मामले में आगे के निर्देशों के लिए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के सामने पेश करने को कहा है!
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के विरोध के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने वरिष्ठ वकील पी वेणुगोपाल को जारी समन वापस लिया!
सुप्रीम कोर्ट: वकीलों को तलब करना स्वायत्तता को खतरा!
प्रेषित समय :20:43:08 PM / Wed, Jun 25th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर




