लखनऊ. उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां कांवड़ यात्रा से पहले नेम प्लेट लगाने और कुछ बयानों को लेकर बड़ा सियासी बवाल छिड़ा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ सहारनपुर में मुस्लिम समाज के कारीगर हिंदू-मुस्लिम एकता की एक बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं. सहारनपुर में मुस्लिम कारीगर सावन के महीने में भोलेनाथ डिजाइन वाली ड्रेस कांवडिय़ों के लिए तैयार कर रहे हैं.
कांवडिय़ों की ये ड्रेस अलग-अलग डिजाइनों में बनाकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में सप्लाई हो रही हैं. सहारनपुर के मटिया महल में होजरी उद्योग से जुड़े अमित ढींगरा बताते हैं कि शहर के अंदर होजरी कारोबार में सबसे ज्यादा मुस्लिम कारीगरों की संख्या है. होजरी कारोबार में 90 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम समाज के लोग जुड़े हैं. कोई भी मौका होता है तो मुस्लिम कारीगर ही ड्रेस तैयार करते हैं.
कारोबार से हो रही करोड़ों की कमाई
जो लोग हिंदू मुस्लिम की बातें करके विवाद खड़ा करते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि एक दूसरे के बिना हम कोई भी कारोबार नहीं कर सकते. क्योंकि हमें एक दूसरे की हमेशा हर काम में जरूरत पड़ती है. नेम प्लेट विवाद की वजह से फिलहाल इस कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ा. डिजिटल कांवड़ टी शर्ट के लिए लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं. अकेले कांवड़ के समय में सहारनपुर के होजरी कारोबार से करोड़ों की कमाई हो रही है. होजरी उद्योग के लिए रॉ मैटेरियल दिल्ली और पंजाब से आता है. एक टी शर्ट और कुर्ता बनाने में 100 से 150 रुपए का खर्च आता है. वहीं टी शर्ट और कुर्ता बाजार में कांवड़ के समय में 200 से 300 रुपए तक में बिक जाता है.
क्या बोले ड्रेस बनाने वाले मुस्लिम कारीगर?
वहीं कांवड़ में हिंदू देवी-देवताओं की ड्रेस बनाने वाले मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि वो पिछले 40 सालों से होजरी का काम करते आ रहे हैं. हमें सिर्फ अपने काम से मतलब रहता है, जो लोग हिंदू-मुस्लिम की बात करते हैं और कोई भी विवाद होने पर ये कहते हैं कि एक दूसरे से समान न खरीदें. वह सब उनकी एक घटिया सोच है. देश में हिंदू मुस्लिम सब मिलकर रहते हैं और सभी के व्यापार एक दूसरे से जुड़े हैं. हमें देवी-देवताओं की ड्रेस बनाने में कोई दिक्कत नहीं है और न इन बातों से हमें कोई फर्क पड़ता है. मुस्लिम कारीगरों ने कहा कि हम लोग कई सालों से लगातार कांवडिय़ों की ड्रेस और महाकाल की ड्रेस बना रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-