जबलपुर - रेलवे अस्पताल में पत्नी-बेटीवाद, जिम्मेदारों ने खुद ही कर ली डाक्टर्स के पद पर नियुक्तियां

जबलपुर - रेलवे अस्पताल में पत्नी-बेटीवाद, जिम्मेदारों ने खुद ही कर ली डाक्टर्स के पद पर नियुक्तियां

प्रेषित समय :13:27:17 PM / Thu, Sep 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के केेंद्रीय अस्पताल में परिवारवाद या यूं कहें पत्नी-बेटीवाद जमकर चल रहा है. दरअसल एक मामला सामने आया है, जिसमें इस बात की चर्चा पर जोरों पर है कि पिछले दिनों अस्पताल प्रशासन ने चिकित्सकीय व्यवस्था दुरुस्त करने के लिये कांट्रेक्ट मेडिकल प्रेक्टीसनर (सीएमपी) के पदों को भरने का काम किया गया, जिसमें अस्पताल के ही मुखिया की पत्नी व बेटी की नियुक्ति कर दी गई.

एक तरफ तो हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी परिवारवाद के खिलाफ हैं और वे अपने भाषणों में इस बात का उल्लेख भी करते हैं, किंतु पश्चिम मध्य रेल प्रशासन प्रधानमंत्री जी की बातों को गंभीरता से नहीं लेता है. पमरे के जबलपुर के केंद्रीय अस्पताल में हाल ही में की गई सीएमपी की नियुक्तियों में परिवारवाद जमकर हावी रहा. सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर (एमडी) डा. अशोक कुमार की पत्नी व बेटी को सीएमपी के पद पर नियुक्ति दी गई.

अन्य दावेदारों में रोष, पीएमओ, रेलमंत्री तक शिकायत की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक सीएमपी के पद पर नियुक्ति की चाह रखने वाले बड़ी संख्या में डाक्टर्स ने रुचि दिखाई थी और साक्षात्कार में उपस्थित भी हुए थे, किंतु यहां पर अस्पताल के मुखिया के निकटतम रिश्तेदारों को नियुक्ति देने से अन्य लोगों के अवसर में कमी हो  गई. जिससे नियुक्ति में असफर रहे केंडीडेट्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) व रेलमंत्री से जबलपुर के केंद्रीय अस्पताल में हुई नियुक्तियों की शिकायतें करने की तैयारी की है. वहीं इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि पमरे मुख्यालय के चिकित्सा विभाग के एक बड़े अधिकारी के एक रिश्तेदार भी सीएमपी पर नियुक्ति हुई है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.

सीएमपी को इतना मिलता है मानदेय व सुविधाएं

बताया जाता है कि रेलवे अस्पताल में सीएमपी की नियुक्ति होने पर सामान्य एमबीबीएस को 1 लाख प्रतिमाह मानदेय के साथ-साथ साल में 10 छुट्टियां, 1 मुफ्त पास पूरे परिवार का प्रदान किया जाता है, यदि सीएमपी पीजी यानी किसी विधा मेें विशेषज्ञ है तो उसका मानदेय डेढ़ लाख प्रतिमाह होता है.

परिवारवाद से यह समस्याएं

रेलवे अस्पताल में पत्नि व बेटी की नियुक्ति के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, लोगों का कहना है कि यदि एमडी साहब अवकाश पर बाहर जायेंगे, तो उनके साथ पत्नी व बेटी भी अवकाश पर चली जायेेंगी, जिससे यहां की चिकित्सा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

अस्पताल में डाक्टर्स की भारी कमी

पहले से ही रेलवे अस्पताल में डाक्टर्स व अन्य चिकित्सकीय स्टाफ की भारी कमी चली आ रही है. जो डाक्टर्स हैं, वे भी  काफी कम समय अस्पताल में दे रहे हैं. सुबह के समय ही दो या तीन घंटे अपने चेम्बर में मौजूद रहते हैं. सेकंड हाफ में एक-दो डाक्टर्स के अलावा अन्य चिक्तिसकों के चेम्बर बंद पड़े रहते हैं. 

इनका कहना.....

- मुझे अस्पताल में नियुक्तियों के संंबंध में जानकारी नहीं है. बाद में जानकारी ले कर बता पाऊंगा.
हर्षित श्रीवास्तव, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पमरे, जबलपुर.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-