जबलपुर के 76 लाख के 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम की अब सीबीआई करेगी जांच, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जांच को मिली नई दिशा

जबलपुर के 76 लाख के

प्रेषित समय :19:38:08 PM / Mon, Dec 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी से 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर 76 लाख रुपये की हुई सनसनीखेज ठगी के मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी। यह बड़ा बदलाव आज उस वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में तेजी से बढ़ते 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम के मामलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया। कोर्ट के निर्देशानुसार, देश में हुए सभी 'डिजिटल अरेस्ट' मामलों की जांच प्राथमिकता के आधार पर सीबीआई द्वारा की जाएगी, जिससे जबलपुर के इस दो दिन पुराने, लेकिन हाई-प्रोफाइल मामले की फाइल अब नए सिरे से दिल्ली की ओर रुख करेगी।

अभी तक स्थानीय पुलिस और साइबर सेल द्वारा की जा रही जांच में ठगों के बैंक खातों और कॉलिंग पैटर्न को खंगालने पर ध्यान केंद्रित था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस व्यापक आदेश ने अब जांच के दायरे और गहराई को कई गुना बढ़ा दिया है।

जांच का दायरा बढ़ा: सीबीआई की प्रमुख कार्रवाई
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच के निर्देश स्पष्ट हैं:

प्राथमिकता पर जांच: सीबीआई इस मामले को अन्य स्कैम से अलग और शीर्ष प्राथमिकता पर लेगी।

बैंकरों पर निगाह: एजेंसी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत उन बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी विस्तृत जांच करने की पूरी छूट दी गई है, जिन्होंने इस डिजिटल स्कैम को अंजाम देने के लिए संदिग्ध बैंक खाते खोलने में मदद की या आँखें मूंद लीं। $76$ लाख रुपये की इतनी बड़ी राशि का ट्रांसफर जिन खातों में हुआ, उन खातों की संदिग्ध गतिविधियों को अनदेखा करने वाले बैंकरों पर अब कानूनी गाज गिर सकती है।

राष्ट्रव्यापी कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को भी आईटी एक्ट $2021$ से जुड़े मामलों की जांच के लिए सीबीआई को पूर्ण अनुमति देने का निर्देश दिया है, जिसका अर्थ है कि अब सीबीआई अंतर-राज्यीय ठग गिरोहों पर नकेल कसने के लिए पूरे देश में बिना किसी रोक-टोक के बड़े स्तर पर कार्रवाई कर सकेगी।

आरबीआई की भूमिका और तकनीकी समाधान
अदालत ने इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने आरबीआई से सीधा सवाल किया है कि लाखों लोगों को ठगने वाले इन गिरोहों पर रोक लगाने और अपराध की कमाई  को तुरंत फ्रीज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकों को कब लागू किया जाएगा। यह तकनीकी पहल भविष्य में इस तरह की बड़ी धोखाधड़ी को शुरू होते ही रोकने में निर्णायक साबित हो सकती है।

जबलपुर के पीड़ित सेवानिवृत्त अधिकारी के लिए, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक बड़ी राहत और न्याय की नई उम्मीद लेकर आया है। अब सीबीआई की विशिष्ट और उच्च-स्तरीय जाँच से न केवल ठगी गई राशि की बरामदगी की उम्मीद बढ़ गई है, बल्कि पूरे गिरोह के तार, जो संभवतः देश के विभिन्न कोनों या विदेश से जुड़े हो सकते हैं, उनके खुलने की प्रबल संभावना है। यह आदेश स्पष्ट करता है कि अब 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम को केवल साइबर फ्रॉड नहीं, बल्कि एक संगठित वित्तीय अपराध माना जाएगा जिस पर केंद्र की सबसे बड़ी जांच एजेंसी कार्रवाई करेगी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-