ग्रोथ व चुनाव का संतुलन, मोदी का बजट
क्रिकेट की शब्दावली में कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट 2023-24 के जरिए एक ऐसी पाटा पिच तैयार कर दी है, जिस पर भाजपा के राजनीतिक खिलाड़ी अगले चुनावों में खुलकर स्ट्रोक लगा सकते हैं.
एक नजरिए से मोदी ने नैरेटिव सेट कर दिया कि देखो भाई मैंने आर्थिक मोर्चे पर कोई समझौता नहीं किया, लोकलुभावन घोषणाओंं के बजाय लंबी अवधि में विकास को ज्यादा तवज्जो दी. रहा सवाल चुनावों का तो वह हम बजट के जरिए ही लड़ लेंगे. हम भारत की ग्रोथ स्टोरी चाहते हैं.
वह अर्थव्यवस्था में मांग और निवेश बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों पर उनकी पैनी नजर है. अपने मतदाता को छोड़ा नहीं है. आयकर की छूट सीमा बढ़ाकर मध्यवर्ग को खुश कर दिया और अपना मकसद भी पूरा कर लिया. खपत बढ़ाने के लिए उपभोक्ता के हाथ में ज्यादा धन दे रहे हैं. ग्रामीण व कृषि अर्थव्यवस्था में धन डालकर भी मांग बढ़ाने का उपाय कर रहे हैं.
दुनिया में जिस तरह के हालात हैं, सरकार के सामने महंगाई में वृद्धि और निर्यात में कमी की चुनौतियां हैं. प्रगति दर को ऊंचा बनाए रखने की चुनौती को बजट ने स्वीकार किया है. मोदी ने नौजवानों, मध्य वर्ग और ग्रामीण भारत को खासतौर पर संबोधित किया.
हर क्षेत्र में निवेश
पूंजीगत व्यय दस लाख करोड़ कर दिया है. जो पिछले बजट में 5 लाख करोड़ से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ किया गया था. पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की वृद्धि करके मोदी सरकार 2.0 ने संकेत दे दिए हैं कि वह विकास के पहिए को तेज रखना चाहते हैं. यह देश में बुनियादी ढांचे के विकास में अहम भूमिका अदा करेगा, साथ ही स्टील, सीमेंट, मशीन इंजीनियरिंग जैसे कोर सेक्टरों को गति देना जारी रखेगा. मध्य वर्ग को 7 लाख रुपए तक कोई कर नहीं जैसा प्रावधान करके वेतनभोगियों को अपने पाले में करने का बड़ा फैसला किया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना में भी आवंटन 66 प्रतिशत बढ़ा है. इससे न केवल अर्थव्यवस्था में मांग पैदा होगी, बल्कि उन्हें अच्छा राजनीतिक फायदा भी होगा. 2019 के चुनाव में माना गया था कि आवास योजना जैसी कल्याणकारी योजनओं की अहम भूमिका थी.
भारत में बुनियादी ढांचे में निवेश करके निजी क्षेत्र में मांग पैदा करना और अर्थव्यवस्था को गति देना बहुत जरूरी हो गया है.पचास नए एयरपोर्ट, हेलीपोर्ट्स, वाटर एयरोड्रम जैसे ट्रांसपोर्ट इंफ्राास्ट्रक्चर की कम से कम 100 परियोजनाओं में 75 हजार करोड़ का निवेश कर रहे हैं.
हालांकि टैक्स प्रपोजल्स में आयकर के नए और पुराने प्रारूप पर काफी भ्रम रहा है लेकिन वह लोगों को अब नए मॉडल की तरफ ले जाना चाहते हैं. नए मॉडल में ज्यादा छूटें नहीं होंगी. उसमें केवल 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धन डाला
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का खास ख्याल रखा. कृषि ऋण का लक्ष्य 20 लाख करोड़ कर दिया. एग्रीटेक के स्टार्ट अप्स के लिए रास्ता खोल दिया. चीनी सहकारी समितियों को 10 हजार करोड़ की राहत दी, प्राथमिक सहकारी समितियों को दो लाख तक नकदी जमा की अनुमति दे दी है, वहीं दूसरी तरफ 63 हजार सोसाइटी के कंप्यूटरीकरण के लिए 2500 करोड़ दे रहे हैं. पीएम किसान योजना के तहत 2.2 लाख करोड़ ट्रांसफर किए गए हैं.
मोदी की कोशिश है कि ग्रामीण इलाकों से मांग और खपत पैदा हो.
ग्रीन ग्रोथ
कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य हासिल करने हैं और पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता घटानी है. इसलिए पूरी अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे क्लीन एनर्जी की तरफ ले जाया जा रहा है.
ऊर्जा के माध्यम बदलने के लिए वह खासा ध्यान दे रहे हैं. इसमें 35,000 करोड़ डाल रहे हैं. साथ ही नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन में 19700 का समर्थन दे रहे हैं. वाहन उद्योग भी खासी तरक्की करने वाला है क्योंकि सरकार ने पुरानी कारों या गाड़ियों के स्थान पर नए वाहन लेने का फैसला किया है. 2008 में लीमैन ब्रदर्स की गिरावट के बाद सरकार के इतनी बड़ी तादाद में वाहन खरीदने की सबसे बड़ी घटना है. वाहन उद्योग को इससे जबरदस्त प्रगति मिलेगी. 2200 करोड़ क्लीन प्लांट के लिए दिए गए हैं.
टैक्स के प्रावधान में एक झटका भी है. पांच लाख रुपए से ऊपर की बीमा प्रीमियम पर कर छूट को समाप्त कर दिया गया है.
दूसरी तरफ जो सहकारी संस्थाएं मार्च 2024 तक मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेंगी, उन्हें टैक्स रेट केवल 15 प्रतिशत लागू होगी. यह काम रोजगार की संख्या बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.
वरिष्ठ नागरिकों को लेकर बहुत हल्ला मचा हुआ था. बजट ने कोशिश की है कि सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख कर दी जाए. पता नहीं वृद्ध लोगों को इस प्रावधान से कितनी खुशी होगी.