राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा: योगी आदित्यनाथ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा: योगी आदित्यनाथ

प्रेषित समय :12:16:38 PM / Sat, Feb 27th, 2021

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को यहां कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए उसके सेवा भाव को समझना होगा. उन्होंने कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के सेवा कायज़् करता है. मुख्यमंत्री योगी राजधानी लखनऊ में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा लिखी पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र के लोकार्पण कायज़्क्रम को संबोधित कर रहे थे.

योगी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र मात्र एक पुस्तक नहीं है. यह एक दृष्टि है. उन्होंने कहा कि संघ का सेवा कार्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है. बूंद और शक्कर के मिलन की तरह ही आरएसएस अपनी उपस्थिति का एहसास कराता रहा है। शक्कर की तरह इसे हर कोई एहसास करता है. यही इस पुस्तक में भी दिया है. यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में भी संघ ने अपना एहसास कराया. हर लोग चिंतित थे कि कैसे लॉकडाउन में परिस्थितियों को संभाला जाय. जहां दुनिया का हर व्यक्ति स्वतंत्रता का सदुपयोग व दुरपयोग दोनों करना जानता है, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहला संगठन था, जो लोगों को घर-घर जाकर सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया था. राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी लेकिन आरएसएस ने किसी की उपेक्षा नहीं की. सेवा की यह पराकाष्ठा रही कि लोगों को चप्पल पहनाने से लेकर घर पहुंचाने तक का काम किया था. आरएसएस ने किसी की जाति किसी का धर्म नहीं पूछा था.

उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा रहा कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सरकारों को सहायता मिल पायी. यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा. देश में कहीं भी आपदा आती है तो स्वयं सेवक स्व स्फूर्त रूप से वहां के सेवा भाव से जुड़ता है. यही तो राष्ट्रवाद है. आपदा के समय खुद की परवाह नहीं करते हुए गरीबों के जीवन में किस तरह संघ ने आनंद भरा, यह पूरी दुनिया ने देखा है.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि आपके विरोध में कोई बोलने वाला नहीं है तो आपने अच्छा काम नहीं किया. संघ ने यही काम किया है. संघ ने हमेशा सेवा भाव से सेवा काम किया है. यहां से निकलकर स्वयंसेवक निकलकर सुदुर दक्षिण भारत में सेवा काम कर सकता है, तो वह स्वयं सेवक ही कर सकता है. ऐसी सोच भी संघ ही सकता है.

संघ के सह-सरकायज़्वाह दत्तात्रेय होसबाले ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में मिथ्या प्रचार ज्यादा हो गया था. इसके बारे में बिना जाने बोलने वालों की संख्या ज्यादा हो गयी थी. संघ प्रारंभ हुआ एक संगठन के रूप में लेकिन हेडगेवार जी ने पहले ही कहा कि यह कोई नया काम नहीं है. यहां मैं कर रहा हूं, ऐसा कुछ नहीं होता. नाम भी इसे बाद में दिया गया। संघ एक जीवन दृष्टि है, यह एक अनुभव है.

उन्होंने कहा कि यह एक समाज में एक संगठन नहीं है. यह एक समाज का संगठन है. यह सभी को संगठित करता है. हम समाज में रहते हैं और सभी को संगठित करते रहते हैं. संघ को समझने के लिए ऐसे कई सूत्र हैं. ऐसा ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र एक किताब है। किसी एक व्यक्ति का विचार या मत संघ नहीं होता. यहां समूह का मत होता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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