नजरिया. जैसी कि संभावना थी, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार सुरक्षित हो गई है. विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है. सरकार के पक्ष में 55 वोट डाले गए, जबकि विपक्ष के खाते में 32 वोट आए.
जाहिर है, यह अविश्वास प्रस्ताव जीत के लिए नहीं, बल्कि जनता के बीच खट्टर सरकार को एक्सपोज करने के मकसद से लाया गया था, क्योंकि जीत के लायक विधानसभा में संख्याबल तो विपक्ष के पास था ही नहीं.
इस मौके पर गोपाल कांडा का कहना था कि पूरा भारत गांवों में बसता है. विपक्ष भी किसानों की बात सही तरीके से आगे रख रहा है. विपक्ष को घबराना नहीं चाहिए. यदि यह कानून सही नहीं होंगे तो तीन साल के बाद दोबारा चुनाव आएगा, तब फैसला हो जाएगा.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे मकसद साफ था. देश विधायकों की असलियत देखे. हमारा संघर्ष पिछले 7 सालों से यही रहा है कि कैसे बुनियादी मुद्दों को राजनैतिक चर्चा, चुनाव व विमर्श के दायरे में लाया जाए.
कांग्रेस की ही प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि- इनके आंसुओं का उतना ही सम्मान है जितना इन्होंने किसानों के आंसुओं का किया था, तो कांग्रेस नेता रोहन गुप्ता ने कहा कि- किसानों के लिए एक भी आंसू नही बहानेवालों की सत्ता खतरे में आते ही आंसू निकलने लगे!
उधर, आम आदमी पाटी्र के नेता संजय सिंह ने ट्वीट किया कि.... आप रो-रो कर पूरे देश को रुला दिया है रोआंधों ने, इन रोआंधों से देश को बचाओ मेरे भाई!
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा- सत्ता के भोग में किसानों के “दुष़्मन” बने,
खट्टर व दुष्यन्त चौटाला की सरकार.
जजपा के मैनिफेस्टो में एमएसपी का कानून बनाने व फसलों की खरीद पर 10 प्रतिशत या 100रु प्रति क्विंटल बोनस का वादा था.
आज मोदी व खट्टर सरकार की गोदी में बैठकर हरियाणा की जनता की आत्मा को कुरेदने का काम कर रहे हैं.
लेकिन, सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि- कांग्रेस का राजनीतिक भविष्य खत्म होने वाला है, हरियाणा में और 10 साल कांग्रेस नहीं आएगी.
बहरहाल, इस सारे सियासी घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प चर्चा हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की समर्थित पार्टी जेजेपी के विधायक देवेंद्र सिंह बबली की रही, जिन्होंने कहा था कि- उनके समर्थन वापस लेने से बीजेपी की सरकार गिरती तो वह अपनी समर्थन तुरंत वापस ले लेते. उन्होंने कहा कि जेजेपी को सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने यहां तक कहा कि गांव के लोग उन लोगों को घुसने नहीं देते... उन लोगों को पीटा जाता है. मैं या मेरा कोई विधायक जाए.... मतलब ही नहीं बनता... गांववाले कूटेंगे डंडा लेकर हेल्मेट लोहे के गार्मेंट और अंडरगार्मेंट लोहे के पहनकर जाएं तब बचेंगे!
सियासी सयानों का मानना है कि सरकार को तो बचना ही था, लिहाजा हरियाणा में सरकार तो सुरक्षित है, परन्तु विधायक एक्सपोज हो गए हैं, इसलिए सियासी तौर पर असुरक्षित हैं, देखना दिलचस्प होगा कि अब जनता के बीच विश्वासमत प्राप्त करते समय क्या होता है?
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