भावुक करने वाली कहानी है- मेरा फौजी कॉलिंग

भावुक करने वाली कहानी है- मेरा फौजी कॉलिंग

प्रेषित समय :11:22:42 AM / Fri, Mar 12th, 2021

कलाकार- ज़रीना वहाब, शरमन जोशी, रांझा विक्रम सिंह, बिदिता बाग, शिशिर शर्मा, मुग्धा गोडसे और माही सोनी।

निर्देशक- आर्यन सक्सेना

निर्माता- ओवेज़ शेख, विक्रम सिंह, विजेता वर्मा, अनिल जैन।

अवधि- 2 घंटा 7 मिनट

स्टार- *** (तीन स्टार)

मेरा फौजी कॉलिंग मूल रूप से मानवीय पहलुओं और संवेदनाओं की एक भावुक कहानी है। देश के लिए जंग में जांबाज़ी दिखाते हुए शहीद होने वाले फौजियों के परिवारों को किन भावनात्मक कठिनाइयों और पड़ावों से गुज़रना पड़ता है, मेरा फौजी कॉलिंग उन्हीं भावनाओं को विभिन्न किरदारों के ज़रिए उकेरती है।

कहानी- राजवीर सिंह फौज में लेफ्टिनेंट (रांझा विक्रम सिंह) है, जिसकी तैनाती कश्मीर के उरी क्षेत्र में है। घर पर मां (ज़रीना वहाब), पत्नी साक्षी (बिदिता बाग) और एक बेटी आराध्या है। आराध्या एक रात सपने में देखती है कि राजवीर को गोली लग गयी है। इसकी दहशत उसके दिलो-ज़हन में बैठ जाती है। डॉक्टर बताता है कि आराध्या को पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर है। पिता को सपने में मरता देख उसे गहरा सदमा लगा है। डॉक्टर की सलाह पर आराध्या की बात राजवीर से करवायी जाती है, जिसके बाद वो ठीक हो जाती है।

मगर, कुछ दिनों बाद राजवीर के शहीद होने की ख़बर आती है। आराध्या को यह ख़बर देना उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं होता। लिहाज़ा, साक्षी बेटी से कहती है कि पिता का प्रमोशन हो गया है और वो भगवान के घर पर हैं, जहां बात नहीं हो सकती। बाल-मन इसे सच मान लेता है। बेटी का मन रखने के लिए साक्षी और राजवीर की मां सब कुछ सामान्य होने का नाटक करते हैं, जिसमें मेजर रॉय से लेकर गांव वाले तक साथ देते हैं। 

इस नाटक को काफ़ी वक़्त गुज़र जाता है। जब पिता घर नहीं आते तो आराध्या बेचैन होने लगती है। और एक दिन स्कूल से भगवान का घर ढूंढने के लिए निकल पड़ती। जंगल में एक छोटे से हादसे के बाद उसकी मुलाक़ात अभिषेक (शरमन जोशी) से होती है। अभिषेक उसे समझा देता है कि वही उसका पिता है। भगवान के घर उसकी सूरत बदल दी गयी है। मासूम बच्ची इसे सच मानकर उसे अपने घर ले जाती है। इस परिवार के साथ अभिषेक के रिश्ते के उतार-चढ़ाव पर आगे की कहानी आधारित है।

फ़िल्म की रफ़्तार खिंचे हुए स्क्रीन-प्ले की वजह से शिथिल लगती है। जंग में देश एक जवान खोता है, मगर कहीं गांव में बेटी अपना पिता, पत्नी अपना पति और मां अपना बेटा खोती है। ऐसे में इंसानियत के ज़रिए ज़ख़्मों पर मरहम लगाने का संदेश फ़िल्म देती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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