नई दिल्ली. देश में एक ओर जहां कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, वहीं अब दवाओं पर भी इसका असर दिखने लगा है. कोरोना के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवाओं में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी जा रही है. हालांकि अभी उपभोक्ताओं पर इसका असर नहीं दिख रहा है, क्योंकि दवाईयों का दाम नियंत्रण में है.
पैरासिटामोल जैसी जरूरी दवाओं की मांग कई गुना बढ़ गई है. इस दौरान दवा निर्माता कंपनी दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को जुटाने में लगे हुए हैं, जिससे 3 से 6 महीने तक दवाओं की किल्लत को रोका जा सके. ये सच है कि दवा निर्माता कंपनियों ने अपने लाभ को कम कर दिया है, जिसके कारण अभी दवा के दाम पर ज्यादा परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है.
पेरासिटामोल, आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन, एजिथ्रोमाइसिन, मेरोपेनेम जैसी जरूरी दवाओं को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है.
vermectin बनाने के लिए फरवरी में जो सामग्री एक किलो के लिए 17,000 रुपये थी वो बढ़कर अब 58,000 रुपये हो गई है. इसी तरह फरवरी की तुलना में एजि़थ्रोमाइसिन के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री में 3,500 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई है. यही नहीं डॉक्सीसाइक्लिन के लिए सामग्री की कीमत दोगुनी हो गई है, जिससे दवा निर्माताओं को प्रति किलोग्राम 6,000 रुपये अधिक देने को मजबूर होना पड़ रहा है.
इन सभी दवाओं के दाम अभी नियंत्रण में हैं और इसका इस्तेमाल करने वाले को दाम में कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है. हालांकि, मुंबई की एक प्रमुख फार्मा कंपनी के प्रमुख ने कहा कि अगर इस तरह से सामग्री की लागत में वृद्धि जारी रहती है तो दवा निर्माताओं के लिए इन दवाओं की कमी को पूरा करना नामुमकिन हो जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे एसके सेठ का कोरोना से निधन
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