प्रदीप द्विवेदी. कोरोना संक्रमण के कारण मौजूदा हालात को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है.
केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति, ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था हो या फिर कोविड का खराब प्रबंधन, हर मुद्दे को लेकर विपक्षी नेता रोजाना सरकार से सवाल पूछ रहे हैं. यही नहीं, इसे लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तो बाकायदा इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को देने का सुझाव भी दिया था, किन्तु इसका कोई असर नहीं हुआ.
अब विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिख कर सरकार को कई तरह के सुझाव दिए गए हैं, जिसमें सेंट्रल विस्टा के जारी काम को रोकने सहित बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन अभियान चलाने का भी सुझाव है.
विपक्षी नेताओं ने जो पत्र लिखा है उसमें कहा गया है कि- वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए सभी सोर्स का इस्तेमाल किया जाए, ग्लोबल और घरेलू वैक्सीनों से देशभर में मुफ्त वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाए. इसमें हर वर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन हो.
इसके अलावा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर चल रहे काम को तुरंत बंद किया जाए. इसके लिए जारी हुआ बजट ऑक्सीजन और वैक्सीन खरीदने में लगाया जाए.
डोमेस्टिक वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए जरूरी लाइसेंसिंग के प्रावधान को हटाया जाए, जिससे देश में तेजी से वैक्सीन का प्रोडक्शन हो. साथ ही, वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान हो.
प्राइवेट ट्रस्टों में जमा धनराशि को तुरंत रिलीज किया जाए तथा पीएम केयर का इस्तेमाल और वैक्सीन खरीदने, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए हो.
कोरोना संकट के चलते रोजगार की हालत खराब है, लिहाजा सभी बेरोजगार लोगों को 6 हजार रुपये प्रति महीने के हिसाब से सहायता दी जाए.
इतना ही नहीं, लोगों को तुरंत मुफ्त राशन पहुंचाने का काम किया जाए. केंद्र सरकार के गोदामों में एक करोड़ टन से ज्यादा राशन पड़ा हुआ है.
देश के लाखों लोगों को कोरोना का शिकार होने से बचाने के लिए तुरंत कृषि कानूनों को रद्द किया जाए, जिससे तमाम किसान भारत के लोगों को खिलाने के लिए फसल का उत्पादन कर सकें.
पीएम मोदी को सुझावों वाली ये चिट्ठी लिखने वाले विपक्षी नेताओं में, सोनिया गांधी, एचडी देवेगौड़ा, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, डी राजा, सीताराम येचुरी आदि के नाम शामिल हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सरकार चलाने के मामले में पीएम मोदी का तरीका एकतरफा निर्णय लेने का ही रहा है, इसलिए ऐसी कोई संभावना नहीं है कि वे विपक्ष के सुझावों पर कोई खास ध्यान देंगे, विपक्ष से लगातार चर्चा करके बेहतर कदम उठाने के प्रजातांत्रिक तरीके का तो सवाल ही नहीं है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-देश में 24 घंटों में 4,03,738 केस, 4092 मौत, पीएम मोदी ने 4 राज्यों के सीएम से की बात
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