एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ का दावा, राज्य में मार्च-अप्रेल में 1 लाख से ज्यादा मौतें, गृहमंत्री मिश्रा का जवाब, आरोप साबित हुआ तो इस्तीफा दे दूंगा

एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ का दावा, राज्य में मार्च-अप्रेल में 1 लाख से ज्यादा मौतें, गृहमंत्री मिश्रा का जवाब, आरोप साबित हुआ तो इस्तीफा दे दूंगा

प्रेषित समय :15:53:41 PM / Fri, May 21st, 2021

भोपाल. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया है कि कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े शिवराज सरकार छिपा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में मार्च-अप्रैल में श्मशान और कब्रिस्तानों में 1 लाख 27 हजार 530 शवों में से 1 लाख 2 हजार 2 शवों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कोविड से प्रदेश में कितनी मौतें हुई हैं.

इधर, जवाब देने के लिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा सामने आए. उन्होंने कहा कि कमलनाथजी को लाशें गिनने की आदत हैं. 1984 के दंगे सबको पता है. यदि कोरोना से एक लाख से ज्यादा मौत के प्रमाण हैं तो सौपें. अन्यथा इस्तीफा दें. यदि वे प्रमाण देंगे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. राज्यपालजी से आग्रह है कि भय और भ्रम फैलाकर प्रदेश की छवि बिगाड़ रहे नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ पर राष्ट्रदोह का मुकदमा दर्ज करवाएं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कोरोना से 30 मार्च से 20 मई तक 1,676 मौतें हुईं. एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना से मरने वालों के परिवार को सरकार 1 लाख रुपए अनु्ग्रह राशि देगी. इसके बाद कमलनाथ ने आरोप लगाया कि सरकार कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े छिपा कर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है.

उन्होंने बताया कि मौतों के सही आंकड़े उन्होंने खुद अपने सोर्सों से जुटाए हैं. गुरुवार को कांग्रेस विधायकों की वर्चुअल बैठक में कमलनाथ ने इसको लेकर जानकारी ली थी. उन्होंने कहा कि सरकार यह बताए कि कोरोना से ग्रामीण इलाकों में कितनी मौतें हुई हैं? इसे सार्वजनिक करे. कमलनाथ ने बताया कि छिंदवाड़ा के एक गांव नूरा का उन्होंने दौरा किया था, जहां 10 दिन में 15 लोगों की मौत कोरोना से हुई. इसके बाद जब कलेक्ट्रेट में बैठक में इसकी जानकारी ली तो बताया गया कि नूरा गांव में सिर्फ 2 मौतें हुई हैं.

ब्लैक फंगस को महामारी क्यों घोषित नहीं किया?

कमलनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार 3 दिन पहले राज्य सरकारों से ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के निर्देश दे चुकी है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने 600 से ज्यादा केस मिलने के बाद भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया, जबकि तमिलनाडु सहित 5 राज्य इस बीमारी को महामारी घोषित कर चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ब्लैक फंगस को आयुष्मान भारत योजना में भी शामिल नहीं किया गया.

सैंपल टेस्टिंग का टारगेट रखना अनुचित

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के सैंपल टेस्टिंग का टारगेट रखना अनुचित है. उन्होंने बताया कि इसको लेकर मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की थी, उन्हें सलाह दी थी कि टेस्टिंग का टारगेट मत रखिए. जितने लोगों में लक्षण हैं, सबका टेस्ट कराएं. ताकि संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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