केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ भड़की यूनियन, तीनों रेल मंडलों में मनाया ब्लैक डे, प्रदर्शन

केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ भड़की यूनियन, तीनों रेल मंडलों में मनाया ब्लैक डे, प्रदर्शन

प्रेषित समय :18:07:53 PM / Wed, May 26th, 2021

कोटा/जबलपुर. केन्द्र सरकार की लगातार मजदूरों की उपेक्षा उनके खिलाफ लगातार पारित किये जा रहे कानून सार्वजनिक प्रतिष्ठानों का लगातार निजीकरण/निगमीकरण करने के अलावा न्यू पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी गारंटेड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग को लेकर आज 26 मई बुधवार को केंद्रीय श्रम संगठनों के आव्हान पर वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) ने भी तीनों रेल मंडलों कोटा, जबलपुर व भोपाल में काला दिवस आंदोलन मनाया. इस दौरान सभी कार्यालयों, डिपो, स्टेशनों आदि पर कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम पर मौजूद रहे व सरकार के खिलाफ नारेबाजी, प्रदर्शन भी किया.

वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन के महामंत्री कॉम मुकेश गालव ने बताया कि केन्द्रीय कर्मचारियों की मांगों में मुख्य रूप से चार लेबर कोड को वापस लेने, निजीकरण/निगमीकरण पर रोक लगाने, एनपीएस समाप्त कर पुरानी गारेण्टेड पेंशन योजना लागू नहीं करने, रेलकर्मचारियों को फ्रंटलाईन वर्कर नहीं मानने के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ काला दिवस मनाया गया.

ढाई हजार से ज्यादा रेल कर्मियों की कोरोना से मौत, फ्रंट लाइन वर्कर नहीं मान रही सरकार

डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने कहा कि कर्मचारियों में इस बात का जबर्दस्त आक्रोश है कि एक तरफ पिछले सवा साल से ज्यादा समय से जब से कोरोना का कहर शुरू हुआ है, तब से आज तक रेल कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में डालकर देश की लाइफ लाइन रेलवे को लगातार चलायमान रखा हुआ है, ताकि देश में सप्लाई चैन, जिसमें खाद्यान्न, जरूरी सामग्री, दवाइयां, आक्सीजन लोगों को मिलती रहे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस कोरोना काल में एक लाख से ज्यादा रेल कर्मचारी संक्रमित हुए, जबकि ढाई हजार से ज्यादा रेल कर्मचारी कोरोना से शहीद हो गये है, परंतु केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर तक नहीं माना है. केंद्र सरकार को उनकी यह मांग मानना ही होगा, वरना इसके गंभीर परिणाम  होंगे.

देश की सार्वजनिक सम्पत्ति औने-पौने दाम  पर बेचने आमादा केंद्र सरकार

श्री गालव ने केंद्र सरकार के निजीकरण/निजीकरण की नीति पर अपना आक्रोश जताते  हुए कहा कि सरकार देश की लाभ में चलने वाली सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को बेचने पर आमादा है. रेलवे की तमाम उत्पादन इकाइयां, जहां रेल इंजिन, कोचेस बनते हैं और मरम्मत होते  हैं, इन सबको निजी हाथों में देना चाह रही है, लेकिन इसे डबलूसीआरईयू व एआईआरएफ बर्दाश्त नहीं करेगी.

मजदूरों के खिलाफ लाया काला कानून

डबलूसीआरईयू महामंत्री मुकेश गालव ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूरों के खिलाफ 4 लेबर कोड को पास किया है, जिससे कर्मचारी की हैसियत बंधुआ मजदूरों से जैसी हो जायेगी. इस काला कानून के खिलाफ भी देश भर के मजदूरों में जबर्दस्त गुस्सा है. केंद्र सरकार ने तो श्रमिक संगठनों के साथ तय तमाम निगेशियेबल फोरम को ध्वस्त करने का काम किया है, कर्मचारियों की बात श्रमिक संगठनों को उचित फोरम में उठाया जाने में भी परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं.

एक साल से डीए पर रोक, हर कर्मचारी को डेढ़ लाख से अधिक का नुकसान

श्री गालव ने केंद्र सरकार को ललकारते हुए कहा कि कारोना काल में पिछले सवा साल से कर्मचारियों का डीए (महंगाई भत्ता) फ्रीज किया गया है, जिससे अभी तक प्रत्येक रेल कर्मचारी को डेढ़ लाख से अधिक का आर्थिक नुकसान हो चुका  है. केंद्र सरकार को तत्काल डीए देने की घोषणा करना होगा.

आंदोलन को सफल बनाने पर जताया आभार

केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन को सफल बनाने पर डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव, अध्यक्ष रवि जायसवाल, कार्यकारी अध्यक्ष व जबलपुर मंडल सचिव नवीन लिटोरिया, कोषाध्यक्ष इरशाद खान, उपाध्यक्ष कपिल देव यादव, अरविंद, हेमंत राठौर, जबलपुर मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला, भोपाल मंडल अध्यक्ष टीके गौतम, कोटा मंडल अध्यक्ष लोकेंद्र मीणा, सहायक महामंत्री मनीष यादव, पीआर मिश्रा, फिलिप ओमन, संजय जैन, रोमेश मिश्रा, एसडी धाकड़ आदि ने तीनों रेल मंडलों जबलपुर, भोपाल व कोटा के रेल कर्मचारियों का आभार जताया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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