पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जूनियर डाक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किए जाने के बाद ही जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने भी बड़ा फैसला लिया है, जिसमें पीजी फाइनल ईयर के 450 स्टूडेंटस के नामाकंन कैंसिल कर दिए गए है. पूरे एमपी में करीब एक हजार स्टूडेंटस फाइनल ईयर के है. मेडिकल कालेज डीन द्वारा भेजे गए नामों पर जूनियर डाक्टरों के नामाकंन कैं सिल करने के लिए यूनिवर्सिटी को लिखा था, इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएगें, इस मामले में गांधी मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर एसोसिएशन ने एक पत्रवार्ता में अपनी बात रखी.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद मीणा चर्चा करते हुए कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जूडा की मांगें नहीं मानी, सिर्फ आश्वासन दिया है, ऐसे में जूनियर डाक्टरों के पास हड़ताल के अलावा कोई और विकल्प नहीं था, दवाएं व संसाधन न होने पर भी जूडा ने मरीजों का उपचार किया है. उनका कहना है कि भोपाल जीएमसी जूडा के अध्यक्ष हरीश पाठक के परिजनों को पुलिस लगातार परेशान कर रही है, छात्रों का एनरोलमेंट रद्द किया जा रहा है, ये सबकुछ सरकार के दबाव में किया जा रहा है, जब तक सरकार मांग नहीं मानती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा, मेडिकल टीचर संघ भी जूडा को समर्थन दे रहा है, मांगे पूरी न होने पर मेडिकल टीचर्स भी हड़ताल पर जा सकते है. गौरतलब है कि प्रदेश के 6 मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टरों की हड़ताल का आज चौथा दिन रहा. चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत बरवड़े ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड बढ़ाने की कार्यवाही चल रही है, चिकित्सा शिक्षा मंत्री पहले ही जूडॉ को आश्वासन दे चुके हैं. इसके पहले भी उनकी सही मांगों को कार्रवाई की गई है इसके बाद भी जूनियर डॉक्टर अपनी बातों पर अड़े हुए हैं. उन्होंने साफ कहा कि कानून सभी लोगों के लिए बनाए जाते हैं. जिसका सभी को पालन करना जरूरी है, इस मामले में अब कानून की अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
जूडा ने कहा हमारी मांगे मान ले, हम हड़ताल खत्म कर देगें-
वहीं प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर अरविंद मीणा का कहना है कि जूनियर डाक्टर हड़ताल नहीं करना चाहते है, सरकार की तरफ से हमारी मांगों पर चर्चा के लिए नहीं बुलाया गया, न ही कोई बात की. सरकार हमारी मांगों पर आदेश जारी करें हम हड़ताल समाप्त कर देगें.
हड़ताल वापस लेना चाहिए: डीएमई-
इधर डीएमई अलका श्रीवास्तव ने कहा कि छात्र अपनी मर्जी से प्रवेश लेकर आते है, जिनका काम पढ़ाई के साथ साथ मरीजों का उपचार करना भी है, कोरोना के संकटकाल में जूनियर डाक्टर हड़ताल पर जाते है तो वह अपना व पीडि़त मरीज का नुकसान कर रहे है, उनको मानवता को दृष्टिगत रखते हुए अपनी हड़ताल पर विचार करना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में 22 वर्षीय युवती के गर्भवती होते ही 62 वर्षीय वृद्ध ने किया शादी से इंकार..!
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