नजरिया. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कुछ स्पष्ट सियासी संदेश दिए हैं....
एक- जनता को पीएम मोदी पर भरोसा नहीं है, मतलब- पीएम मोदी का जादू हवा हो चुका हैे!
दो- सियासी जोड़तोड़ और दलबदल से नेताओं का तो हृदय परिवर्तन हो सकता है, जनता का नहीं?
तीन- अब इमोशनल मुद्दे बेअसर हो गए हैं और बेरोजगारी, कोरोना लापरवाही, महंगाई जैसे असली मुद्दे रंग दिखा रहे हैं!
चार- केवल सर्वे, मीडिया मार्केटिंग, सियासी प्रबंधन, जोरदार चुनाव प्रचार आदि के दम पर चुनाव जीतना संभव नहीं है? अकेली ममता बनर्जी ने पीएम मोदी सहित तीन दर्जन मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, दिग्गज नेताओं, बड़े दलबदलुओं को सियासी औकात दिखा दी हैै!
पांच- भीड़ देेखकर दावे नहीं करें, भीड़ तो मनोरंजन के लिए भी जुट जाती है, उस भीड़ से वोट हांसिल करना आसान नहीं है?
सियासी सयानों का मानना है कि बंगाल में करारी हार के बावजूद बीजेपी नेतृत्व सियासी सबक लेने को तैयार नहीं है. यूपी में भी कांग्रेस के नेताओं के लिए बीजेपी ने राजनीतिक दरवाजे खोल दिए है!
देखना दिलचस्प होगा कि जो नेता कांग्रेस का फायदा नहीं करवा सकेे हैं, वे बीजेपी को कितना राजनीतिक लाभ दिलाते हैं?
https://twitter.com/Radhika_Khera/status/1402684118979076097
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