नजरिया. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मोदी टीम जितनी आक्रामक थी, उसके उलट अब सुरक्षात्मक है?
चुनाव से पहले मोदी टीम टीएमसी को तोड़ने में लगी थी, अब टीएमसी वालों को बीजेपी में रोके रखने की चुनौती है.
यही वजह है कि बीजेपी की बंगाल इकाई की मंगलवार को हुई उच्चस्तरीय संगठनात्मक बैठक में मुकुल रॉय, शमिक भट्टाचार्य, राजीव बनर्जी जैसे दिग्गजों की गैरमौजूदगी के बाद मीडिया में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्मा गया.
हालांकि, खबरों की माने तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का इस मामले पर कहना है कि महत्वपूर्ण बैठक में वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति चिंता का विषय नहीं है!
खबरें तो यह भी हैं कि बंगाल में इन दिनों कई नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने पर खेद व्यक्त कर रहे हैं.
लिहाजा, ऐसे समय में टीएमसी से बीजेपी में आए किसी भी बड़े नेता की गैर-मौजूदगी पर सियासी चर्चाएं तो होनी ही हैं.
सियासी सयानों का मानना है कि मोदी टीम ने कई राज्यों में सियासी जोड़तोड़ करके राजनीतिक कामयाबी पाई है, लेकिन पश्चिम बंगाल में यह सियासी दांव उल्टा पड़ गया है, इसलिए अब अपना राजनीतिक घर संभालने की चुनौती बीजेपी के समक्ष है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बंगाल में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी एवं उनके भाई सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ चोरी का केस दर्ज
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