जबलपुर/टीकमगढ़. मप्र उच्च-न्यायालय के माननीय न्यायाधीश श्री संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने टीकमगढ़ स्थित सुप्रसिद्ध पपौरा जैन तीर्थ के ट्रस्ट संबंदी विवाद को लेकर दायर याचिका में लम्बी बहस के पश्चयात अगली सुनवाई 22 जून जवाब हेतु नियत की है. फि़लहाल उच्च-न्यायालय द्वारा ट्रस्टियों द्वारा जो गिरफ़्तारी पर रोक की अंतरिम रहत पर कोई आदेश पारित नहीं किया.
हाल ही में एसडीएम, टीकमगढ़ द्वारा तीर्थ को चलाने वाली सार्वजनिक न्यास को भंग कर उस पर प्रशासक को नियुक्त करने की अनुशंसा कलेक्टर को की है. साथ ही एवं सभी न्यास-धारियों (ट्रस्टीज़) के विरुद्ध आर्थिक एवं अन्य अनिमिताओ के चलते उनके विरुद्ध धोखा-धड़ी, जाल-साजी, अमानत में खयानत, न्यास भंग करने एवं अन्य गंभीर आरोपों पर आपराधिक कारवाही करने की भी अनुशंषा की थी. इसके विरुद्ध न्यास-धारियों ने उच्च-न्यायालय में एसडीएम (डिप्टी कलेक्टर) द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने की प्राथना करते हुऐ रिट याचिका दायर की जिस पर गुरुवार को लगभग डेढ़ घंटा सुनवाई हुई.
एकल पीठ द्वारा सुनवाई के पश्चात प्रकरण को 22 जून नियत कर दी गई है, ताकि शासन एवं केवियेटर अपनी प्राथिमिक आपत्तियाँ दाखि़ल कर सकें. जांच के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किए, जिस पर रिट याचिका के माध्यम से रोक लगाने पर गुरुवार को सुनवाई हुई. शिकायतकर्ता सकल दिगम्बर जैन महिला मंडल टीकमगढ़ की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता उपस्थित हुए, जिन्होंने याचिका की पोशनीयता पर आपत्ती ली एवं अंतरिम राहत का घनघोर विरोध किया.
क्या है प्रकरण
टीकमगढ़ स्थित जैन तीर्थ जैन धर्मावलंबियों का बहुत बड़ा तीर्थ है, जिसके अंतर्गत लगभग 35 जैन मंदिर, स्कूल, गौशालाएं, धर्मशालाएं एवं इस तरह से से लग भग 2 अरब रुपया की चल एवं अचल की संपत्तियां है. आचार्य श्री विद्यासागर जी का इस तीर्थ में कई बार प्रवास हो चुका है, जिसके चलते तीर्थ का अत्यंत धार्मिक महत्व है. यहाँ तीर्थ 30 हज़ार से ज़्यादा जैन धर्म के परिवारों की आस्था का केंद्र है7 सकल दिगम्बर जैन महिला मंडल द्वारा गत वर्ष कलेक्टर को शिकायत करते हुए कहा गया कि ट्रस्ट मे करोड़ों रूपये की हेराफेरी, गड़बडिय़ाँ एवं घोटाले हो रहे है; यह भी कहा गया कि नगद राशियों के दाम का कोई हिसाब किताब नहीं है एवं स्कूलों एवं प्रतिभास्थली के संबंध में जो 25 करोड़ रुपये का दान जैन धर्मावलंबियों द्वारा दिया गया था वह भी खुर्द बुर्द कर दिया गया एवं महिलाओं हेतु प्रतिभास्थली एवं स्कूल का संचालन नही किया जा रहा.
कलेक्टर द्वारा डिप्टी कलेक्टर को उपरोक्त शिकायत द्वारा जांच के निर्देश दिए, जिस पर डिप्टी कलेक्टर द्वारा शिकायत के सभी आरोपों को सही पाते हुए तीर्थ के न्यास को भंग कर प्रशासक नियुक्त करने हेतु कलेक्टर को अनुशंसा की गई एवं साथ ही कलेक्टर को सभी ट्रस्टियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के लिए भी आग्रह किया गया. कलेक्टर द्वारा तत्पश्चात् न्यास धारकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसके संबंध में रिट याचिका दाखि़ल की गई. शिकायतकर्ता, जो कि कैविएट पर थे, द्वारा अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता के माध्यम से प्राथमिक आपत्ति ली गई कि याचिका अपरिपक्व है एवं अंतिम निर्णय कलेक्टर का है, जिसको चुनौती नहीं दिया गया हैं. डिप्टी कलेक्टर की अनुशंसा पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि वह कलेक्टर के निर्देशों पर कार्य कर रहा है. गुप्ता द्वारा यह भी प्रार्थना की गई कि आपराधिक प्रकरणों पर संपूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, जिसके संबंध में सभी पक्षों को पहले सुना जाना आवश्यक है क्योंकि आरोप अत्यंत गंभीर है एवं न्यास-धारकों द्वारा गंभीर वित्तीय अनियमितता की है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में महिला की हत्या कर रेल पटरी पर फेंकी लाश..!
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