मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार का कहना है कि भले ही 'राष्ट्र मंच' की बैठक में गठबंधनों पर चर्चा नहीं की गई थी लेकिन यदि कोई वैकल्पिक गठबंधन बनता है तो कांग्रेस निश्चित रूप से इसका हिस्सा होगी। हालांकि पवार ने यह भी बताया कि उन्होंने बैठक में कहा था कि हमें सामूहिक नेतृत्व के साथ बढ़ना होगा। हमने वर्षों तक ऐसा किया है अभी हम सबको साथ रखकर काम करेंगे।
मालूम हो कि बीते 22 जून को भाजपा विरोधी कई पार्टियों के नेताओं की राकांपा प्रमुख शरद पवार के आवास पर बैठक की थी जिसमें ज्यादातर क्षेत्रीय दल शामिल हुए। बैठक में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल समेत अनेक विपक्षी दलों और वाम दलों के नेता मौजूद रहे। इसे भाजपा को कहीं अधिक मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी नेताओं के एकजुट होने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि बैठक में शामिल हुए नेताओं ने इसे गैर राजनीतिक बताया था। नेताओं ने इसे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के राष्ट्र मंच के बैनर तले समान विचार वाले लोगों के बीच एक संवाद करार दिया था। उस समय राकांपा नेता माजिद मेनन ने कहा था कि यह बैठक किसी भाजपा विरोधी मोर्चे या गैर-कांग्रेसी मोर्चे के गठन के लिए नहीं थी। माकपा नेता नीलोत्पल बुस ने भी कहा था कि यह राजनीतिक बैठक नहीं थी।
करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में यशवंत सिन्हा के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सपा के घनश्याम तिवारी, रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी, आप के सुशील गुप्ता, भाकपा के बिनय विस्वाम और माकपा के नीलोत्पल बसु बैठक में मौजूद रहे। यही नहीं कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा और जदयू के पूर्व नेता पवन वर्मा ने भी बैठक में भाग लिया। बैठक में जावेद अख्तर, राजदूत केसी सिंह और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एपी शाह आदि गैर सियासी हस्तियां भी शरीक हुई थीं।
यह बैठक चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ 11 जून को और सोमवार को हुई उनकी मुलाकात के बाद हुई थी। यह संयोग ही है कि यह बैठक पश्चिम बंगाल के हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस जीत के बाद हुई। चूंकि अगले साल यूपी और पंजाब जैसे राज्यों के अलावा कई अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में बैठक को क्षेत्रीय क्षत्रपों और गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की कवायद के तौर देखा गया।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कहीं पंजाब जैसी हालत न हो जाए, अब राजस्थान-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सता रहा डर
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