अभिमनोजः क्या चिराग पासवान जमीनी सच्चाई स्वीकार करके आगे बढ़ पाएंगे?

अभिमनोजः क्या चिराग पासवान जमीनी सच्चाई स्वीकार करके आगे बढ़ पाएंगे?

प्रेषित समय :22:12:58 PM / Fri, Jul 9th, 2021

नजरिया. सारा देश जो सच्चाई देख रहा था, उसे चिराग पासवान नहीं मान रहे थे, लेकिन अब तो यह एकदम साफ हो गया है कि न तो पीएम मोदी उनका साथ देने वाले हैं और न ही एनडीए में उनके लिए कोई खास जगह है?

क्या चिराग, सीएम नीतीश कुमार की तरह मोदी को सियासी आईना दिखाने का दमखम रखते हैं? यदि नहीं, तो उन्हें मोदी से कुछ हांसिल नहीं होगा!

खबर है कि चिराग पासवान की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज हो गई है, जिसमें कहा गया था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है.

चिराग पासवान की ओर से कहा गया था कि पार्टी से निकाले जाने के कारण पशुपति पारस एलजेपी के सदस्य नहीं हैं.

उल्लेखनीय है कि चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी है.

इसी मामले में आज कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने अपने फैसले में याचिका को खारिज कर दिया.

खबरों की माने तो दिल्ली हाईकोर्ट में स्पीकर के एडवोकेट का कहना था कि उन्होंने इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष से बात की है और उनकी ओर से यह जानकारी दी गई है कि इस मामले को वो देख रहे हैं. साथ ही एडवोकेट ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया.

इसके बाद, अदालत ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते, क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं!

सारे सियासी घटनाक्रम को देखें तो 13 जून 2021 से एलजेपी में विवाद शुरू हुआ था. इसके दूसरे दिन चिराग के अलावा शेष सभी सांसदों की संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई और हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया गया. इसकी जानकारी भी लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला को दे दी गई, नतीजा? लोकसभा सचिवालय ने पारस को मान्यता दे दी.

हालांकि, इसके बाद चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और पांचों बागी सांसदों को पार्टी से निकाल दिया, लेकिन तब तक तो सियासी खेला हो गया था.

इस दौरान दिन गुजरते रहे और चिराग पीएम मोदी के सहयोग-समर्थन का इंतजार ही करते रहे, किन्तु इस इंतजार का अंत भी इस तरह से हुआ कि पारस, मोदी सरकार में मंत्री बन गए.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान को जमीनी सच्चाई स्वीकार करके तेजी से आगे बढ़ना होगा, वरना जो वोट बैंक उनके साथ है, वह भी पार्टी की तरह बिखरने लगेगा?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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