कोरोना मरीज की मृत्यु के बाद 20 घंटे तक शरीर में रह सकता है वायरस, भोपाल एम्स की रिपोर्ट में खुलासा

कोरोना मरीज की मृत्यु के बाद 20 घंटे तक शरीर में रह सकता है वायरस, भोपाल एम्स की रिपोर्ट में खुलासा

प्रेषित समय :10:14:53 AM / Fri, Jul 9th, 2021

भोपाल. जो लोग अब तक ये सोच रहे हैं कि कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों में पहुंचकर जानलेवा हो जाता है, वे इसके खतरे को निश्चित तौर पर कम करके आंक रहे हैं. भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने देश में पहली बार 21 कोविड शवों के पोस्टमार्टम के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. भोपाल एम्स में 21 कोविड शवों की अटॉप्सी के बाद खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस ने ना सिर्फ फेफड़ों को बल्कि किडनी, ब्रेन, पैंक्रियाज, लिवर और हृदय तक पहुंचकर अपना घातक असर दिखाया है.

इस बारे में जानकारी देते हुए एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह ने कहा कि उनकी जांच में कोरोना वायरस लंग्स के साथ-साथ पेनक्रियाज, ब्रेन, किडनी और शरीर के अन्य अंगों में भी मिला है. उन्होंने कहा, हमें यह तो बता था कि वायरस लंग्स के सेल में जा कर उन्हें मल्टीप्लाई करता है लेकिन हमको ये भी पता चला है कि यह ब्रेन में भी जा सकता है, पेनक्रियाज में भी जा सकता है और शरीर के कई अन्य अंगों में भी जा सकता है. हालांकि मरीज के बाद सेल मल्टीप्लाई नहीं होते है. मेरा यह सुझाव होगा कि मरीज के सभी अंगों का इन्वेस्टिगेशन करना चाहिए.

एम्स भोपाल की स्टडी में यह भी खुलासा हुआ है कि मौत के 20 घंटे बाद तक वायरस संक्रमित मरीज के शरीर में मिल सकता है. एम्स डायरेक्टर के मुताबिक, ICMR मानता था कि मरने के बाद वायरस डेड बॉडी पर रह जाता है लेकिन पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि वह मृतक के शरीर के अंदर भले ही जिंदा रहता हो लेकिन बाहर नहीं. प्रोफेसर सिंह ने कहा स्किन पर यह वायरस जिंदा नहीं रहता. यदि कोरोना से जान गंवाने वाले शख्स के शरीर को सैनिटाइज किया गया हो तो उससे किसी के संक्रमित होने का डर नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि डेड बॉडी के अंदर 16 घंटे बाद तक हमें वायरस जिंदा मिला है.

यह स्टडी करने के पीछे भोपाल के डॉक्टरों का मकसद यह पता लगाना था कि कोरोना लंग्स के अलावा और किन अंगों पर असर करता है. भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने अगस्त 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच 21 कोविड मरीजों का पोस्टमार्टम कर उनके अंगों में कोविड-19 संक्रमण का एनालिसिस करके ये सारी जानकारी इकट्ठा की है. उन्होंने अटॉप्सी के लिए 15 पुरुष और 6 महिलाओं के शवों का पोस्टमार्टम किया. इनमें 20 मरीज पहले ही किसी न किसी बीमारी से पीड़ित थे जबकि एक मृतक कोरोना संक्रमण से पहले पूरी तरह स्वस्थ था.

पोस्टमार्टम के लिए एम्स की टीम को कोविड मृतकों के परिजनों से मुश्किल से परमिशन मिली. 7 मृतकों के परिजनों की काउंसलिंग करने पर एक के परिजन ने पोस्टमार्टम की सहमति दी. एम्स की टीम ने 21 में से 15 शवों का पोस्टमार्टम सुबह 5 से 7 बजे के बीच और बाकी 6 का रात में किया ताकि उनके अंतिम संस्कार में देर न हो. एम्स भोपाल में अगस्त से अक्टूबर 2020 के बीच 148 मरीजों की कोरोना से मौत हुई थी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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