पलपल संवाददाता, जबलपुर/भोपाल. मध्यप्रदेश में अब पारिवारिक मामलों में अब लोगों को थाना आने की जरुरत नहीं होगी, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व एमपी पुलिस एक पायलट प्रोजेक्टर का संचालन करने जा रहे है, इसमें पुलिस उर्जा डेस्क, महिला हैल्प डेस्क से आने वाले मामलों को ऑनलाइन मध्यस्थता द्वारा सुलझाया जाएगा.
बताया जाता है कि यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है इसलिए दोनों पक्षों को घर से ही अपना पक्ष रखना होगा, इससे थाना में झगड़ा या विवाद की स्थिति भी समाप्त हो जाएगी, महिला प्रकोष्ठ भोपाल की डीएसपी निधि सक्सेना ने बताया कि भारत में इस तरह की पहली पहल है, इस परियोजना को शुरु करने के लिए जबलपुर, भोपाल व ग्वालियर जिलों में अभी पायलट प्रोजेक्टर के रुप में किया जा रहा है, सफल होने पर इसमें विस्तार किया जाएगा. मध्य प्रदेश सिविल विधिक सेवा प्राधिकरण व पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है. इसमें महिला अपराध प्रकोष्ठ जिला भोपाल के सहयोग से विभिन्न थानों में संचालित महिला ऊर्जा हेल्प डेस्क संचालकों की ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित की गई. सभी को इसके फायदे और उसके उपयोग किए जाने के बारे में बताया.
देश का पहला राज्य होगा-
बताया जा रहा है देश का पहला राज्य एमपी होगा, जहां पर आमजन को अपने विवादों को पूरी तरह से ऑनलाइन हल करने का अवसर मिलेगा, इसका फायदा यह होगा कि पीडि़त पक्ष के समय की बचत के साथ ही यहां-वहां चक्कर लगाने की जरुरत नहीं होगी, ऑन लाइन होने से मामलों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में मदद मिलेगी.
दोनों पक्ष को ऑनलाइन मिलेगी पूरी जानकारी-
इसके साथ ही एक पोर्टल भी एक निजी कंपनी के सहयोग से पुलिस ने तैयार करवाया है. इस पर मामले की पूरी जानकारी अपडेट की जाएगी. इसका फायदा यह है कि संबंधित मामले के अपडेट को अधिकारियों और विभाग के साथ ही दोनों पक्ष ऑनलाइन देख सकेंगे. इससे उसे यह पता चल सकेगा कि उसके मामले में अभी क्या चल रहा है.
पांच दिन के अंदर ही सुलझाई जाएगी समस्या-
डीएसपी निधि सक्सेना का कहना है कि पीडि़त के थाना या ऑनलाइन शिकायत करने पर पुलिस कर्मी समस्या सुनने के बाद उसकी पूरी जानकारी एक्सपर्ट को देगें, वे दोनों पक्षों से वाट्सएप व मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क कर पूरे मामले को समझेगें इसके बाद दोनों पक्षों के बीच सामन्जस्य बिठाने की कोशिश करेगें.
वे विवाद लेगे जो अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं-
ऑनलाइन में इस तरह के विवादों को शामिल किया जाएगा जो अपराध की श्रेणी में नही आते है, जिन्हे बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकेगा, पांच दिन तक विशेषश्र दोनों पक्षों से बातचीत कर मामले को हल करने की कोशिश करेगे, दोनों पक्षों की सहमति मिलने के बाद उन्हे वाट्सएप के जरिए से सहमति पत्र भी जारी किया जाएगा. दोनों पक्षों को एक आईडी दी जाएगी, जिससे वे प्रकरण का स्टेटस देख सकेगें, पांच दिन बाद यह आईडी ऑटोमैटिक क्लोज हो जाएगा. अगर दोनों पक्षों के बीच समझौता नहीं होता है तो उन्हें कानूनी सलाह दी जाएगी. उसके बाद पुलिस के पास मामला आ जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में वैक्सीन का टोटा, डोज खत्म होने से दो जुलाई का विशेष अभियान टला
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