जबलपुर से 8 वर्ष की उम्र में लापता हुआ आमिर, नागपुर में 10 वर्ष बाद अमन के रुप में मिला, हिन्दू परिवार का लाड़ला बेटा बनकर पल रहा था

जबलपुर से 8 वर्ष की उम्र में लापता हुआ आमिर, नागपुर में 10 वर्ष बाद अमन के रुप में मिला, हिन्दू परिवार का लाड़ला बेटा बनकर पल रहा था

प्रेषित समय :21:38:43 PM / Tue, Jul 13th, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित टेढ़ीनीम क्षेत्र से 8 वर्ष की उम्र में लापता हुआ आमिर नामक बालक करीब दस वर्ष बाद नागपुर में अमन के रुप में मिला है, मानसिक रुप से विक्षिप्त आमिर को दामले परिवार ने अपना दूसरा बेटा बनाकर पाला, प्यार दिया, शिक्षा दी, जब अमन का आधार कार्ड बनवाने के लिए दामले परिवार के सदस्य पहुंचे तो पता चला कि उसका आधार पंजीयन जबलपुर के हनुमानताल क्षेत्र से हुआ है, इसके बाद दामले परिवार ने संपर्क कर अमन को उसके असली माता-पिता से मिला दिया, अमन को अपने दूर करते वक्त दामले दम्पति की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.

बताया जाता है कि टेढ़ीनीम क्षेत्र में रहने वाले  अय्यूब उर्फ बबलू चांटी और मां मेहरूनिशा का बेटा आमिर मानसिक रुप से कमजोर रहा, जो वर्ष 2011 में 8 वर्ष की घर से ठक्करग्राम स्थित शासकीय स्कल जाने के लिए निकला इसके बाद वह लौटकर नहीं आया, परिजनों ने अपने स्तर पर तलाश की लेकिन आमिर का कहीं पता नही चल सका, आमिर किसी ट्रेन में बैठकर नागपुर पहुंच गया, रेलवे स्टेशन पर उसे भटकते हुए देखकर चाइल्ड केयर के सदस्यों ने उसे समर्थ राजाराम दामले द्वारा संचालित अनाथालय पहुंचा दिया, यहां पर आमिर का नया नाम अमन मिल गया, वर्ष 2015 में अनाथालय बंद हो गया तो समर्थ दामले के पास एक समस्या आ गई कि आमिर उर्फ अमन को कहां भेजे, ऐसे में उन्होने अमन को गोद ले लिया, समर्थ व उनकी पत्नी लक्ष्मी का एक बेटा मोहित व बेटी गुजंन पहले से रहे, फिर भी उन्होने आमिर को उन्होने अपनी तीसरी संतान के रुप में अपनाया, यहां तक कि 21 फरवरी को दामले परिवार में आया था, जिसके चलते 21 फरवरी को ही उसका जन्मदिन मनाया जाने लगा. उसका स्कूल में नाम अमन लिखाया गया, जहां से उसने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर ली, 11 वीं में जब प्रवेश दिलाने की बात आई तो आधार कार्ड मांगा गया, समर्थ दामले अपने साथ अमन को लेकर नागपुर स्थित मनकापुर आधार सेवा केंद्र लेकर गए तो पता चला कि आमिर का आधार पंजीयन 2011 में जबलपुर में हो चुका है, उसका नाम मोहम्मद आमिर है जिसके पिता का नाम मोहम्मद अय्यूब है, पता टेढ़ीनीम हनुमानताल लिखा था, इसके बाद दामले परिवार के सदस्यों ने पुलिस से संपर्क किया, स्थानीय लोगों की मदद से परिजनों तक खबर पहुंचाया और आमिर उर्फ अमन अपने असली माता-पिता के पास पहुंच सका है.

अपने असली माता पिता को ही नही पहचान पाया-

नागपुर के पंचशील नगर में रहने वाले समर्थ दामले के घर अय्यूब उसकी बचपना की फोटो लेकर पहुंचे, समर्थ दामले ने तो फोटो देखकर पहचान लिया कि अमन ही आमिर है, लेकिन अमन अपने असली पिता अय्यूब को नही पहचान पाया, मायूस होकर अय्यूब भी लौटकर आ गए, बाद में अमन को जब समर्थ दामले ने बातचीत करते हुए उसे याद दिलाने की कोशिश की तो उसे भी हल्का हल्का याद आने लगा, इसके बाद दामले परिवार के सदस्य अमन को लेकर जबलपुर आ गए, हनुमानताल थाना में अय्यूब के परिजनों को बुलाया गया, पुलिस की उपस्थिति में अमन को उसके परिजनों के सुपुर्द किया गया.

नागपुर का दामले परिवार फूट-फूटकर रोया-

अमन को उसके असली माता पिता अय्यूब व मेहरुनिशा को सौंपते वक्त समर्थ व उनकी पत्नी लक्ष्मी की आंखो से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, दामले दम्पति ने आमिर को दस वर्षो तक अमन नाम देकर अपने सगे बेटे क ी तरह पाला, उसे शिक्षित किया, वह भी दामले दम्पति से दूर जाते वक्त रो पड़ा.

अय्यूब उर्फ बबलू चांटी ने कहा, मैं नहीं दे पाता ऐसी शिक्षा-

8 वर्ष की उम्र में बिछड़े बेटे मोहम्मद आमिर को 10 वर्ष बाद पाकर अय्यूब उर्फ बबलू चांटी व उनके परिजनों की भी खुशी का ठिकाना नहीं है, अय्यूब ने कहा कि दामले परिवार ने जिस तरह से बेटे को पाला, उसका इलाज कराया, शिक्षा दिलाई, मैं इतना नहीं कर पाता, मेरी हैसियत ही नहीं थी. आज आमिर आगे की पढ़ाई करना चाहता है, उसकी आगे की पढ़ाई मेरी जिम्मेदारी है जिसे हर हाल में पूरा करुंगा.

नागपुर अपनी यशोदा मां का जन्म दिन मनाने पहुंचा-

बताया गया है कि दोनों परिवार का लाड़ला आमिर उर्फ अमन को मालूम रहा कि उसकी यशोदा मां लक्ष्मी दामले का 13 जुलाई को जन्म दिन रहता है तो अपने पिता अय्यूब से जिद करके मोटर साइकल में बैठकर नागपुर पहुंचा, जहां पर उसने मां  लक्ष्मी का जन्मदिन मनाया, उनका आर्शीवाद लिया, आमिर उर्फ अमन के आने से लक्ष्मी सहित परिवार के अन्य सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लक्ष्मी व समर्थ दामले का कहना है कि उन्हे इस का दुख है कि अमन उनसे दूर चला गया, लेकिन उससे ज्यादा इस बात की भी खुशी है कि आमिर को उसके असली माता पिता मिल गए, दस वर्ष साथ रहने के बाद जब भी अमर उनसे दूर गया तो उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं लेते है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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