पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर से ऋण वसूली प्राधिकरण (डीआरटी) के लखनऊ अटैच किए जाने से कहीं न कही होटल व्यवसाय को झटका लगा है, इससे होटल कारोबार के राजस्व को काफी हानि होगी, खासबात तो यह है कि केन्द्र सरकार द्वारा डीआरटी को लखनऊ में शिफ्ट कर दिया गया इसके बाद भी शहर के तथाकथित रहनुमाओं के कानों तक जूं तक नहीं रेंग रही है, चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, इस मामले में किसी ने भी आवाज उठाने की जरुरत नहीं समझी.
बताया जाता है कि डीआरटी द्वारा बैंकों व वित्तीय संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले ऋणों की लेनदारी व देनदारी संबंधी विवादों के निर्णय करते है, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के सभी प्रकरणों के विवादों का निपटारा किया जाता है, दोनों प्रदेशों के व्यापारी से लेकर उद्योगपतियों का आना जाना लगा रहता है, ऐसे में दोनों प्रदेशों के अपने विवादों के निपटारे के लिए दूसरे प्रदेशों की शरण में जाना होगा, जिससे कहीं न कहीं उन्हे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, जिससे आर्थिक नुकसान तो होगा ही साथ ही उन्हे आवागमन में भी दिक्कतें होगी, क्योंकि एमपी व छग के लोगों को अभी जबलपुर आना आसान होता है लेकिन डीआरटी का आफिस लखनऊ शिफ्ट होने से अन्य परेशानियां भी होना संभावित है, खासबात तो यह है डीआरटी के जाने से होटल व्यवसाय प्रभावित हो रहा है, कारोबारी यहां पर अपने प्रकरणों के निपटारे के लिए आते है और रुकते है तो एक तरह से राजस्व भी आता है लेकिन ऐसे में होटल कारोबार को भी काफी नुकसान होगा, डेढ़ वर्षो के दौरान होटल कारोबार पूरी तरह से चरमरा गया है, क्योंकि होटलें लॉकडाउन के चलते बंद कर दी गई थी, इसके बाद डीआरटी के आफिस के चले जाने से भी कहीें न कहीं होटल कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश में वैक्सीन का टोटा, डोज खत्म होने से दो जुलाई का विशेष अभियान टला
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