बूंदी. कोटा संभाग के बूंदी जिले के केशवरायपाटन क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर तबाही मचाई है. मूसलाधार बारिश से इलाके के एक दर्जन गांवों में लहलहा रही सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलें जलमग्न होकर पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. वहीं, एक दर्जन आशियाने पानी में डूबकर धराशायी हो गये. इससे क्षेत्र के किसानों और लोगों के चेहरों पर मायूसी छा गई है. बारिश में अपने आशियाने खोने वाले प्रभावित लोगों ने ग्राम पंचायत भवन और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में शरण ले रखी है. पीड़ित किसानों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की है.
बूंदी जिले के केशवरायपाटन इलाके के देईखेड़ा क्षेत्र के देईखेड़ा, आजंदा, कोड़क्या, बाझड़ली, नोतोड़ा, मालिकपुरा, प्रतापगढ़, ढगारिया, झपायता, कोटड़ी, बलदेवपुरा, भवानीपुरा, रघुनाथपुरा और लबान गांवों में सोमवार को हुई भारी बारिश के बाद क्षेत्र के नदी-नालों में उफान आ गया था. इससे इन करीब एक दर्जन गांवों के खेतों में खड़ी सोयाबीन, उड़द और मक्का की लहलहा रही फसलें पूरी तरह से पानी में डूब गईं. एक दर्जन से अधिक मकान धराशायी हो गए. किसान खेतों में भरे बरसाती पानी को डीजल इंजनों से बाहर निकालने में जुटे हैं.
पीड़ित किसानों का कहना है की उन्होंने महंगे भाव का सोयाबीन, उड़द और मक्का का बीज खरीदकर जैसे तैसे फसलों की बुवाई की थी. मूसलाधार बारिश ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया. वे बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं. पिछले साल बारिश न होने से खेतों को पड़त (खाली) रखा गया था. इस बार अधिक बारिश होने से फसलें बर्बाद हो गई हैं. अब उनके बच्चों का क्या होगा? पीड़ित किसानों की मांग है कि सरकार जलमग्न हुई फसलों के नुकसान का सर्वे करवाकर उन्हें उचित मुआवजा दे ताकि वे अपने बच्चों का भरण पोषण कर सकें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान: गहलोत सरकार ने एक साथ 287 RAS अफसरों का किया तबादला
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