पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सिटी अस्पताल में कोविड मरीज की मौत के मामले में दायर याचिका मामले में जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अह्म निर्णय दिया है, कोर्ट ने मामले में विवेचक को जांच के आदेश देते हुए कहा कि जांच के बाद तय करे मामले में 302 का अपराध बनता है या नही. साथ ही याचिकाकर्ता को कहा है कि विवेचना से संतुष्ट न होने पर वह न्यायालय में क्रिमिनल परिवाद दायर कर सकता है.
नरसिंहपुर निवासी राजेन्द्र राय के परिजनों ने दस अप्रेल 2021 को कोरोना होने पर जबलपुर के नेपियर टाउन स्थित सिटी अस्पताल में भरती कराया था, परिजनों ने याचिका में दावा किया था कि सिटी अस्पताल में कोविड इलाज के दौरान उन्हे अलग अलग तारीखों में रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे, ये इंजेक्शन नकली थे, जिसके चलते 3 मई 2021 को उनकी मौत हो गई.
याचिकाकर्ता ने आवेदन के साथ फर्जी रेमडेसिविर इंजेक्शन से संबंधित बिल व दस्तावेज भी प्रस्तुत किए है, याचिका के माध्यम से परिजनों ने सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीतसिंह मोखा के खिलाफ 302 का प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी, याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता यश सोनी ने अपना पक्ष रखा. याचिका को आज जस्टिस विशाल धगट की कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए निराकृत कर दिया, जस्टित धगट ने अपने आदेश में कहा कि यह धारा 302 का अपराध बनता है या नहीं यह निर्णय करने का अधिकार जांच अधिकारी का होगा. जांच अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि याचिकाकर्ता के आवेदन की विवेचना के बाद तय करें कि उनके आरोप उचित है या अनुचित, साथ ही यह भी आदेश दिए है कि यदि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी की विवेचना से संतुष्ट नहीं है तो अपना आवेदन न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए मामले में क्रिमिनल परिवाद दायर कर सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में मां ने पढ़ाई करने कहा, गुस्साई बेटी ने फांसी लगाई
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