नजरिया. किसान आंदोलन चलते हुए लंबा समय हो गया है तथा इस दौरान यह साफ हो गया है कि मोदी सरकार की दिलचस्पी- किसानों की बात सुनने में नहीं, किसान आंदोलन खत्म करने में है!
लिहाजा, स्वतंत्रता आंदोलन के अहम पड़ाव 9 अगस्त की ऐतिहासिक तारीख पर देश के किसानों ने- मोदी गद्दी छोड़ो अभियान छेड़ा है.
क्योंकि, लोकसभा चुनाव अभी दूर हैं, इसलिए मोदी सरकार को तत्काल तो कोई सियासी खतरा नहीं है, किन्तु निकट भविष्य में यूपी, गुजरात आदि राज्यों में जो विधानसभा चुनाव होंगे, वहां बीजेपी को तगड़े सियासी झटके लग सकते हैं.
याद रहे, 9 अगस्त को देश में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान- भारत छोड़ो आंदोलन की स्मृति के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि 1942 में 9 अगस्त को ही अंग्रेजी शासन के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था और अंततः देश 1947 में आजाद हुआ था.
अब इसी तरह किसानों ने भी- मोदी गद्दी छोड़ो, आंदोलन की शुरुआत की है, क्योंकि मोदी सरकार नए कृषि कानूनों को लेकर जिद पर अड़ी है और करीब 9 माह से चल रहे किसान आंदोलन को लगातार नजरअंदाज कर रही है.
किसान आंदोलन के शुरुआती महीनों में किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी, परन्तु इनका कोई नतीजा नहीं निकला, क्योंकि मोदी सरकार कृषि कानून रद्द करने को तैयार नहीं है.
हालांकि, फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन विवादित कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगी हुई है, परन्तु मोदी सरकार ने किसानों से बातचीत बंद कर दी है.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली में आने से कई माह तक रोके रखा, किन्तु इन दिनों किसानों ने संसद भवन से कुछ ही दूर पर स्थित दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान संसद का भी आयोजन किया है, मतलब- किसानों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है.
संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले किसानों ने ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में लखनऊ में सभा की थी, जिसमें किसानों के तीस से ज्यादा संगठनों ने हिस्सा लिया था और वहीं 9 अगस्त से- मोदी गद्दी छोड़ो, आंदोलन शुरु करने का फैसला हुआ था.
सियासी सयानों का मानना है कि यदि किसान आंदोलन की बदौलत यूपी, पंजाब आदि राज्यों में बीजेपी को सियासी झटके लग गए, तो मोदी की गद्दी जरूर हिलने लग जाएगी!
किसान आंदोलन! कल, आज और कल....
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हॉकी में ब्रॉन्ज जीतने वाले खिलाड़ी होंगे मालामाल, पंजाब और एमपी अपने हर खिलाड़ी को देगें 1-1 करोड़
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