प्रदीप द्विवेदी. पत्रकारिता करना सबसे आसान काम है और अच्छी पत्रकारिता करना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन उदयपुर के प्रमुख पत्रकार सुभाष शर्मा ने अपनी लगन और मेहनत से यह साबित किया है कि यदि इरादे बुलंद हों तो छोटी सी शुरुआत से भी कामयाबी की उंची उड़ान भरी जा सकती है.
सुभाष शर्मा की पत्रकारिता भले ही उदयपुर से शुरू हुई हो, लेकिन उन्हें राजस्थान के दो प्रमुख समाचार पत्रों- दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में जिम्मेदारी के पदों पर काम करने का अवसर मिला और उन्होंने प्रदेशस्तर पर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया.
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सम्मानित किया.
आइए, उन्हीं से जानते हैं उनकी पत्रकारिता की कामयाबी की कहानी....
बीसवीं सदी का अंतिम दशक में तब पत्रकारिता किसी चुनौती से कम नहीं थी. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उदय भी नहीं हुआ था और प्रादेशिक या नेशनल समाचार पत्र में काम करने के लिए आवश्यक था कि आपका अंग्रेजी ज्ञान बेहतर हो. गांव से निकले पत्रकारों के लिए अंग्रेजी समझना इतना मुश्किल नहीं था जितना बोलना. बड़े समाचार पत्र में काम करने से पहले बाकायदा उसी तरह की परीक्षा से गुजरना होता था, जैसे इन दिनों राज्य और केन्द्र सरकार की उच्च स्तरीय सेवाओं के लिए परीक्षा ली जाती है. राज्य सेवा में जाने की बजाय मैंने पत्रकारिता को पेशा बनाना बेहतर समझा. जिसमें मुझे वरिष्ठ पत्रकारों का साथ मिला जो प्रादेशिक समाचार पत्र से लौटते समय पीटीआई की टेलीप्रिंटर से आने वाली न्यूज़ की कतरन मुझे लाकर देते थे और मैं उनका अनुवाद करता. दूसरे दिन वह उसे जांचते और मुझे बताते थे कि अनुवाद करना और उसकी न्यूज की तरह संरचना करने में क्या अंतर होता है और उसे किस तरह बनाया जाता है. जिसके बाद मेरी पत्रकारिता की शुरुआत साप्ताहिक नफा नुकसान समाचार पत्र से शुरू हुई, जिसमें उदयपुर ब्यूरो के तौर पर काम किया. छह महीने बाद ही मुझे दैनिक राष्ट्रदूत में काम करने का अवसर मिला और महज तीन महीने ही काम किया. उस दौरान राजस्थान में दैनिक भास्कर का पदार्पण हुआ. जिसने राजस्थान के कई पत्रकारों को अवसर प्रदान किया. दैनिक भास्कर के वर्तमान में प्रबंध निदेशक सुधीर अग्रवाल ही साक्षात्कार लेते थे. वह साक्षात्कार के दौरान यह जान लेते थे कि कौन कितना काम कर सकता है. उनके साथ काम करना बेहद चुनौती भरा था. तब ना तो आज की तरह मोबाइल था और ना ही खबर तक पहुंचने के आसान साधन. हालांकि वह दौर मुझे आज के दौर से ज्यादा आसान लगता. भास्कर में रहते हुए कई प्रशंसा पत्र और पुरस्कार जीते. उसी दौरान भास्कर में रोमिंग रिपोर्टर के लिए देश भर के पत्रकारों को आमंत्रित किया और उसमें से आठ रिपोर्टरों का चयन हुआ, जिनमें से मैं भी एक था. उस दौरान कई ऐसी खबरें करने का अवसर मिला जो बेहद चुनौती भरे थे. बाद में टीवी पत्रकारिता ने कदम रखा और समाचार पत्र के साथ भास्कर टीवी के लिए काम करने का अवसर मिला. रिपोर्टर के रूप में प्रादेशिक पहचान बनाने के बाद मुझे डेस्क पर भी काम करने का अवसर मिला. जयपुर में प्रादेशिक डेस्क के बाद वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेंद्र बोड़ा और कल्पेश याज्ञनिक के साथ नेशनल न्यूज रूप में काम करने का अवसर मिला. यह दौर राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता के दौरान प्रतिस्पदृर्धा का दौर था और उस समय मुझे राज्य के प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों की समीक्षा का दायित्व दिया गया. इसके बाद राजस्थान पत्रिका में नेशनल डेस्क, फ्रंट पेज डेस्क, सीकर और भीलवाड़ा में डेस्क इंचार्ज के रूप में काम किया. इस दौरान राजस्थान पत्रिका में दर्जनों इन हाउस पुरस्कार जीते. जननायक के बाद नेशनल दुनिया में काम करने के बाद वर्तमान में दैनिक जागरण के लिए संभागीय ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत हूं.
पत्रकारिता की यात्रा....
साप्ताहिक नफा नुकसान जुलाई 1997 से दिसम्बर 1997
दैनिक राष्ट्रदूत दिसम्बर 1997 से फरवरी 1998
दैनिक भास्कर फरवरी 1998 से जनवरी 2008
प्रभात खबर जनवरी 2008 से जुलाई 2008
राजस्थान पत्रिका जुलाई 2008 से सितम्बर 2013
जननायक अक्टूबर 2013 से दिसम्बर 2015
नेशनल दुनिया जनवरी 2016 से फरवरी 2017
दैनिक जागरण मार्च 2017 से लगातार....
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान में मेधावी विद्यार्थियों को कोचिंग के लिये जल्द मिलेगी विशेष स्कॉलरशिप
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