नई दिल्ली. भारतीय रेलवे ने आईआरसीटीसी से कनविनिएंस फी में 50 फीसदी हिस्सेदारी का अपना कल का फैसला आज वापस ले लिया है. रेलवे के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव कुमार जैन ने एबीपी न्यूज को बताया कि रेलवे ने ये फैसला पब्लिक सेंटिमेंट और आईआरसीटीसी की अपील पर वापस लिया है.
आईआरसीटीसी प्रत्येक यात्री टिकट पर जो फेसेलिटेशन चार्ज लेती है उसी को कनविनियंस चार्ज कहते हैं. ये चार्ज अलग-अलग टिकट कैटेगरी के अनुसार 20, 30 और 40 रूपए होता है.
आईआरसीटीसी के मुख्य प्रवक्ता आनंद झा ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि आईआरसीटीसी ने 2020-21 में कनविनिएंस फ़ी से 300 करोड़ रूपए कमाए थे. जिसमें से एक बड़ा हिस्सा उसकी इंफ्रास्ट्रकचर लागत में जाता है. 2020-21 में आईआरसीटीसी का कुल मुनाफ़ा 260 करोड़ था. इसमें टिकटिंग के अलावा केटरिंग और रेल नीर आदि का मुनाफ़ा भी शामिल है.
कल रेलवे ने आदेश दिया था कि वो इस कनविनिएंस चार्ज का 50% ख़ुद लेगी. लेकिन आईआरसीटीसी ने कोविड काल में हो रहे नुक़सान का हवाला देते हुए रेलवे ने इस आदेश को वापस लेने की अपील की थी. इस पर आज रेलवे ने अपना ये आदेश पब्लिक सेंटिमेंट को देखते हुए और आईआरसीटीसी की माँग पर विचार करते हुए वापस ले लिया है.
रेलवे के कल के आदेश से शेयर बाज़ार पर भी बुरा असर पड़ने का अंदेशा था. आईआरसीटीसी के शेयर गिरने का अनुमान था. इसके अलावा दूसरी सरकारी कंपनियों पर भी शेयर धारकों का विश्वास कम होने की बात कही जा रही थी. इस पब्लिक सेंटिमेंट का भी रेलवे के कल के फ़ैसले पर असर पड़ा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रेलवे की बैठक में चाय-नाश्ते के बजट पर चली कैंची, सरकार रोकेगी फिजूल खर्च
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