पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार का भरा खजाना, 6 महीने में हुई 1.71 लाख करोड़ रुपये की कमाई

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार का भरा खजाना, 6 महीने में हुई 1.71 लाख करोड़ रुपये की कमाई

प्रेषित समय :17:23:54 PM / Sun, Oct 31st, 2021

नई दिल्ली. पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 33 फीसदी बढ़ा है. आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. अगर कोविड-पूर्व के आंकड़ों से तुलना की जाए, तो पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन में 79 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी हुई है.

वित्त मंत्रालय में लेखा महानियंत्रक (कैग) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार का एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 33 फीसदी बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. पिछले साल की समान अवधि में यह 1.28 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह अप्रैल-सितंबर, 2019 के 95,930 करोड़ रुपये के आंकड़े से 79 फीसदी ज्यादा है. पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 3.89 लाख करोड़ रुपये रहा था. 2019-20 में यह 2.39 लाख करोड़ रुपये था.

इन चीजों पर नहीं लगता जीएसटी

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) प्रणाली लागू होने के बाद सिर्फ पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस पर ही उत्पाद शुल्क लगता है. अन्य उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी लगता है. सीजीए के अनुसार, 2018-19 में कुल एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 2.3 लाख करोड़ रुपये रहा था. इसमें से 35,874 करोड़ रुपये राज्यों को वितरित किए गए थे. इससे पिछले 2017-18 के वित्त वर्ष में 2.58 लाख करोड़ रुपये में से 71,759 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में पेट्रोलियम उत्पादों पर बढ़ा हुआ (इंक्रीमेंटल) उत्पाद शुल्क संग्रह 42,931 करोड़ रुपये रहा था. यह सरकार की पूरे साल के लिए बॉन्ड देनदारी 10,000 करोड़ रुपये का चार गुना है. ये तेल बांड पूर्ववर्ती कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में जारी किए गए थे.

1 लाख करोड़ से अधिक रह सकता है कलेक्शन

ज्यादातर उत्पाद शुल्क संग्रह पेट्रोल और डीजल की बिक्री से हासिल हुआ है. अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार के साथ वाहन ईंधन की मांग बढ़ रही है. उद्योग सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में बढ़ा हुआ उत्पाद शुल्क संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रह सकता है. पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने रसोई गैस, केरोसिन और डीजल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोलियम कंपनियों को कुल 1.34 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए थे. वित्त मंत्रालय का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में इसमें से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है.

पेट्रोल-डीजल पर इतना बढ़ा टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोगों को वाहन ईंधन की ऊंची कीमतों से राहत देने में पेट्रोलियम बांडों को बाधक बताया है. पेट्रोल और डीजल पर सबसे अधिक उत्पाद शुल्क जुटाया जा रहा है. नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल वाहन ईंधन पर कर दरों को रिकॉर्ड उच्चस्तर पर कर दिया था. पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया था. इसी तरह डीजल पर शुल्क बढ़ाकर 31.80 रुपये प्रति लीटर किया गया था.

कच्चा तेल का भाव 85 डॉलर प्रति बैरल पर

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें सुधार के साथ 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं और मांग लौटी है, लेकिन सरकार ने एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाया है. इस वजह से आज देश के सभी बड़े शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया है. वहीं डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों में डीजल शतक लगा चुका है. सरकार ने 5 मई, 2020 को उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी कर इसे रिकॉर्ड स्तर पर कर दिया था. उसके बाद से पेट्रोल के दाम 37.38 रुपये प्रति लीटर बढ़े हैं. इस दौरान डीजल कीमतों में 27.98 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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