भोपाल. ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट Amazon के जरिए गांजे की बड़ी तस्करी का पता चला है. पुलिस ने इस बड़े रैकेट का खुलासा करते हुए 20 किलो गांजे के साथ दो लोगों को हिरासत में लिया है. गांजे की तस्करी करी पत्ते के नाम पर की जा रही थी. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक गांजे की इस खेप को विशाखापट्टनम से ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म Amazon के जरिए मध्यप्रदेश मंगाया गया था. आरोपियों ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि Amazon के माध्यम से अब तक करीब 1 टन गांजे की तस्करी की जा चुकी है.
गांजे के साथ पुलिस ने जिन दो लोगों को हिरासत में लिया है, उसमें एक की पहचान सूरज उर्फ कल्लू (ग्वालियर के मोरार का मूल निवासी) और पिंटू उर्फ बिजेंद्र सिंह तोमर (जो भिंड जिले में सड़क किनारे ढाबा चलाने वाले) के रूप में हुई है. 20 किलो गांजे की ये खेप विशाखापत्तनम से Amazon के जरिए मंगवाई गई थी. भिंड जिले के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पकड़े गए लोगों से पूछताछ से पता चलता है कि पिछले 4 महीनों से प्रमुख ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म के जरिए प्रतिबंधित मादक पदार्थ को मंगाया गया है. जांच में पता चला है कि पिछले चार महीनों में उनके द्वारा एक ही प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लगभग एक टन गांजा पहले ही प्राप्त किया जा चुका है. आरोपियों ने पिछले चार महीने के दौरान 1 करोड़ 10 लाख रुपए के गांजे की तस्करी को अंजाम दिया गया है.
दोनों से पूछताछ के बाद उनके एक एक सहयोगी को हरिद्वार (उत्तराखंड) से पकड़ा गया है. पुलिस के अनुसार मुखबिर से सूचना मिली थी कि आरोपी सूरज उर्फ कल्लू पवैया अमेजन द्वारा कड़ी पत्ते के टैग से आंध्र प्रदेश से मादक पदार्थ गांजे की अमेजन से डिलेवरी ग्वालियर, भोपाल, कोटा, आगरा एवं अन्य जिलों में की जाती है. इसमें अमेजन की 66.66 प्रतिशत की हिस्सेदार थी.
जांच में पता चला है कि इस पूरे रैकेट के सरगना सूरज पवैया ने गुजरात स्थित एक कपड़े की कंपनी का इस्तेमाल करते हुए अपने आपको Amazon पर हर्बल उत्पादों और करी पत्ते के विक्रेता के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था. इसके साथ ही उसे Amazon पर अपना बारकोड बनाने की इजाजत मिल गई थी. इसी का इस्तेमाल करते हुए आरोपी गांजे की तस्करी को अंजाम दे रहे थे.
इस पूरे मामले में कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि विक्रेता को पंजीकृत करने से पहले, Amazon को विक्रेता की वास्तविकता और क्रेडिट क्षमता के बारे में जानने के लिए केवाईसी करना चाहिए था. इसके अलावा, Amazon को मारिजुआना जैसी अवैध वस्तुओं की बिक्री की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि इतनी बड़ी कंपनी अवैध वस्तुओं के लेनदेन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग करके क्यों नहीं रोकता है. जबकि वे इन तकनीकों का उपयोग छोटे व्यवसायी और छोटे भारतीय निर्माताओं के सामान को अपना लेबल लगाकर बेचने का काम करती है.
एनसीबी सहित देश के कई जांच एजेंसियों को Amazon के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है. यदि पोर्टल के जरिए गांजे का लेनदेन किया जा सकता है कि पोर्टल के माध्यम ये हथियारों की भी सप्लाई की जा सकती है. यही नहीं इस तरह के माध्यम से अन्य राष्ट्र-विरोधी कामों और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों को भी अंजाम दिया जा सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आग से चार बच्चों की मौत, शार्ट सर्किट से हुआ था ब्लास्ट
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