पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने जबलपुर खंडपीठ के साथ लगा प्रिंसिपल सीट शब्द विलोपित करने के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है, मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पीके कौरव की युगल पीठ ने नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की याचिका पर उक्त आदेश दिया है.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने हाईकोर्ट नियम 2008 में किए गए संशोधन का हवाला देते हुए 8 अक्टूबर 2021 को मध्य प्रदेश राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी. इसके अनुसार जबलपुर के आगे से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ शब्द को विलोपित कर दिया गया. नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और नयागांव निवासी रजत भार्गव ने रजिस्ट्रार जनरल को लीगल नोटिस भेजा. नोटिस में कहा गया कि जबलपुर हाईकोर्ट को मुख्यपीठ का दर्जा राष्ट्र्रपति ने 27 अक्टूबर 1956 को आदेश जारी कर दिया था. राष्ट्रपति के आदेश को बदलने का अधिकार रजिस्ट्रार को नहीं है. ये भारत के संविधान के विपरीत है. बाद में मंच ने याचिका के तौर पर हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी.
मुख्य न्यायाधीश व जस्टिस पीके कौरव की युगल पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए रजिस्ट्रार जनरल के आदेश पर रोक लगा दी. उनके द्वारा हाईकोर्ट नियम 2008 में किए गए संशोधन पर रोक लगा दी. डॉ नाजपांडे के अनुसार ये जबलपुर के लोगों के लिए बड़ी जीत है. मुख्यपीठ शब्द विलोपित होने से जबलपुर हाईकोर्ट की न्यायिक हैसियत इंदौर व ग्वालियर के समकक्ष हो गई थी. इसका नुकसान ये था कि इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ में दायर याचिकाओं को संयुक्त तौर पर जबलपुर बुलवा कर सुनवाई का अधिकार भी समाप्त हो गया था. मंच की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी हाईकोर्ट का आदेश: विधवा को ब्याज सहित तीन माह में किया जाए पारिवारिक पेंशन का भुगतान
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