एमपी हाईकोर्ट का आदेश: विधवा को ब्याज सहित तीन माह में किया जाए पारिवारिक पेंशन का भुगतान

एमपी हाईकोर्ट का आदेश: विधवा को ब्याज सहित तीन माह में किया जाए पारिवारिक पेंशन का भुगतान

प्रेषित समय :13:40:31 PM / Fri, Jan 14th, 2022

खंडवा. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता श्रीमती शशिबाई जगताप निवासी जिला खण्डवा को 14 वर्ष के पश्चात पारिवारिक पेंशन दिये जाने का आदेश पारित किया. इस मामले में याचिकाकर्ता के पति स्व. शंकरलाल जगताप समयपाल के पद पर कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग खण्डवा में पदस्थ थे, जिनकी मृत्यु सेवा के दौरान 11 जुलाई 2007 को हो गई. उनकी विधवा पत्नि के द्वारा जल संसाधन विभाग से फैमिली पेंशन की मांग की गई जिसमें विभाग द्वारा कोषालय अधिकारी खण्डवा को प्रकरण अग्रेषित कर पीपीओ जारी किये जाने हेतु निवेदन किया गया.

कोषालय अधिकारी खंडवा द्वारा सम्पूर्ण प्रकरण पर यह आपत्ति ली गई कि स्व. शंकरलाल जगताप की नियमित नियुक्ति कार्यभारित आकस्मिकता निधि में दिनांक 28 अक्टूबर 1998 को होने एवं मृत्यु तिथि तक उनकी सेवा अवधि कुल आठ वर्ष आठ माह एवं तेरह दिन ही होने से उनकी पत्नी अथवा याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेशन की पात्रता नहीं आती हैं, क्योंकि मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के नियम 47 एवं सहपठित नियम 4 (ए) एवं 2 (सी) के तहत 10 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के पश्चात ही पेंशन की पात्रता होती हैं. अत: उनका प्रकरण 10 वर्ष की समय सीमा से कम होने के कारण निरस्त किया जाता हैं. उक्त आपत्ति से क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता श्रीमती शशिबाई जगताप द्वारा उच्च न्यायालय की शरण ली गई. माननीय न्यायालय द्वारा प्रमुख सचिव वित्त, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग खंडवा एवं जिला कोषालय अधिकारी खंडवा को नोटिस जारी कर जबाव दिये जाने के निर्देश दिये गये.

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता राहुल मिश्रा द्वारा यह दलील दी गई कि  मात्र इस आधार पर कि दिवंगत कर्मचारी द्वारा 10 वर्ष की सेवा नहीं पूर्ण की गई है, उसे पेंशन जो कि मूलभूत अधिकार की श्रेणी में आता है, से वंचित नहीं किया जा सकता. अधिवक्ता राहुल मिश्रा द्वारा इस संबंध में कार्यभारित तथा आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी (पेंशन) नियम, 1979 के नोटिफिकेशन दिनांक 30 जनवरी 1996 की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कर तर्क दिया गया कि पेंशन हेतु आर्हतादाई सेवा में संशोधन कर 6 वर्ष माना गया हैं, इस आधार पर याचिकाकर्ता पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने की हकदार है साथ ही साथ कुछ ऐतिहासिक न्यायिक दृष्टांतो का भी संदर्भ बहस के दौरान दिया गया.

प्रकरण में अंतिम रूप से सुनवाई करते हुए माननीय न्यायाधिपति एसए धर्माधिकारी द्वारा जिला कोषालय अधिकारी, खंडवा की आपत्ति को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन का लाभ समय-सीमा तीन माह मे दिये जाने हेतु विस्तृत आदेश पारित किया साथ ही उसे देय सम्पूर्ण राशि पर छह प्रतिशत ब्याज अतिरिक्त रूप से देय होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

एमपी में पंचायत चुनाव अप्रेल-मई के बीच होना संभावित, मार्च तक परिसीमन प्रक्रिया पूरी होगी, इस बीच ओबीसी आरक्षण का मामला सुलझने की उम्मीद

एमपी के दो मंत्री विश्वास सारंग, तुलसी सिलावट पाजिटिव, सीएम ने बुलाई बैठक

एमपी के स्कूलों में 26 जनवरी के ध्वजारोहण कार्यक्रम में 10वीं तक के बच्चे नहीं होगे शामिल..!

एमपी के जबलपुर में तीसरी लहर के बीच कोरोना पाजिटिव वृद्ध की निजी अस्पताल में मौत..!

एमपी के जबलपुर में युवक का सिर काटकर खेत में फेंका..!

Leave a Reply