अफगानिस्तान में जातीय समूहों के बीच शुरू हुई लड़ाई, तालिबान ने लोकतंत्र को ठहराया जिम्मेदार

अफगानिस्तान में जातीय समूहों के बीच शुरू हुई लड़ाई, तालिबान ने लोकतंत्र को ठहराया जिम्मेदार

प्रेषित समय :13:31:03 PM / Sat, Jan 15th, 2022

काबुल. अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने आतंरिक कलह का बचाव करते हुए कहा कि इसके पीछे का कारण जातीय संघर्ष है, जो उनकी सरकार को विरासत में मिला है. उसने इसके लिए लोकतंत्र  को भी जिम्मेदार ठहराया है. तालिबान ने कहा कि अब देश में लोकतंत्र की मौत हो चुकी है. पशतून जाति के तालिबानी कमांडरों को निहत्था रहने का निर्देश दिए जाने के बाद देश के फरयाब प्रांत में उथल-पुथल देखने को मिली है. तालिबान के भीतर मचे कलह की रिपोर्ट्स पर संगठन के प्रवक्ता इनामुल्लाह समनगनी ने जवाब दिया है.

प्रवक्ता ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि अफगानिस्तान में बढ़ता जातीय संघर्ष इसलिए है, क्योंकि ‘देश में लोकतंत्र था, और उसकी वजह से जातीय संघर्ष देखने को मिल रहा है.’ उसने कहा कि अब लोकतंत्र का अंत हो गया है और इसका समर्थन करने वाले अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रवक्ता ने कहा कि लोकतंत्र समर्थक तालिबान को एक ही जातीयता को प्रमुखता देने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं और इसलिए अफगान आबादी के बीच विभाजन पैदा होता है. तालिबान की तरफ से ये बात ऐसे वक्त पर कही गई है, जब उत्तरी प्रांतों में उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लोगों ने तालिबान पर जातीय भेदभाव और अत्याचार का आरोप लगाया है.

बल्ख प्रांत में उज्बेक तालिबानी लड़ाके ने स्थानीय पशतून तालिबान कमांडर को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद से फरयाब में लोग सड़कों पर उतरे आए हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति 1990 के दशक में भी देखने को मिली थी. हालांकि तालिबान जातीय समूहों के बीच हो रहे संघर्ष के लिए लोकतंत्र समर्थकों को जिम्मेदार ठहराता है. तालिबान में बड़े पैमाने पर पश्तून शामिल हैं और सत्ता पर नियंत्रण करने के बाद अल्पसंख्यकों और अन्य जातीय समूहों को बहुसंख्यक पश्तून जातीय तालिबान से खतरा होने की आशंका है.

1990 के दशक के मध्य में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी. जिसके चलते जातीय समूह आपस में ही भिड़ गए थे. उज्बेक, ताजिक और अन्य समूह अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में हावी हैं और पश्तून तालिबानी नेतृत्व का विरोध करते हैं. उत्तरी क्षेत्र में तालिबान के ही अल्पसंख्यक लड़ाकों ने हथियार ले लिए हैं और तालिबान के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया है. ये सब ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब अफगानिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है. स्थानीय मीडिया का कहना है कि पश्तून और उज्बेक तालिबान की लड़ाई में कम से कम चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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