नई दिल्ली. शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. बीते 4 दिनों में शेयर मार्केट में काफी तेज गिरावट देखने को मिली है. इस दौरान सेंसेक्स 2500 अंक की गिरावट झेल चुका है. साथ निफ्टी 700 अंक नीचे चला गया. शेयर मार्केट से जुड़े जानकारों का मानना है कि कमजोर रुपया और भारतीय बाजारों से पैसा निकालने वाले एफआईआई ट्रेंड रिवर्सल के चलते बाजार में गिरावट आई है. साथ कई कंपनियों का प्रदर्शन भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है.
4 दिन में निवेशकों को 8 लाख करोड़ का घाटा
सेंसेक्स में लगातार गिरावट के चलते निवेशकों की संपत्ति में 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई. इस दौरान इंडिया विक्स की ग्रोथ 7.8 फीसदी रही. जानकारों के मुताबिक नैस्डैक के टेक दिग्गजों में गिरावट के साथ अमेरिकी बाजार लगातार पांचवें दिन कमजोर रहे, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार में टेक सेक्टर पर भी दिख रहा है.
विदेशी निवेशकों ने की 1 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक विक्रेता बने रहेंगे. 20 जनवरी 2022 तक, एफआईआई 12,415.14 करोड़ रुपए के शुद्ध विक्रेता बने रहे, जबकि उन्होंने 21 जनवरी 2022 तक 4,500 करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की. इन एफआईआई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भी शामिल हैं. बढ़ते वैश्विक बॉन्ड के परिणाम के बीच विदेशी निवेशक महंगे बाजारों से बाहर निकल रहे हैं और जापान और यूरोप जैसे आकर्षक मूल्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. कुल मिलाकर विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है.
वैश्विक बाजार का भी पड़ा असर
अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी दिखाी दे रहा है. अमेरिकी मार्केट में गुरुवार को भी लगातार पांचवें दिन कमजोरी देखने को मिली. अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद से वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में उछाल के कारण निवेशक जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं. ऐसे में बाजार में अनिश्चितता की स्थिति रहने तक निवेशकों को भी अपने पोर्टफोलियो में कम जोखिम वाली संपत्तियां शामिल करने की सलाह दी जा रही है.
15 दिन में लगातार रुपए में गिरावट
पिछले 15 दिन में भारतीय रुपया 74 के स्तर से गिरकर लगभग 74.50 के स्तर पर आ गया है. एफआईआई के भारतीय बाजारों से पैसा निकालने का यह भी एक मुख्य कारण है. गिरते बाजार में डॉलर के लिहाज से उनकी वापसी में भारी गिरावट दिख रही है.
भारतीय कंपनियों ने किया कमजोर प्रदर्शन
दिसंबर को समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों की अब तक की कमाई ने भारी दबाव का संकेत दिया है. नामी कंपनियों का मुनाफा प्रभावित रहा है, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की प्रारंभिक टिप्पणी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव का संकेत दिया. बजाज फाइनेंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि शहरी क्षेत्रों में कम आय वाले उपभोक्ता भी महामारी से प्रभावित हुए हैं.
अमेरिका व भारत की आर्थिक स्थिति हो रही बदतर
अमेरिका के साथ साथ भारत में आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है. इसके चलते भारतीय रिजर्व बैंक धीरे-धीरे तरलता को सामान्य करने की ओर बढ़ रहा है. कॉल मनी दर बढ़कर 4.55 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 3.25-3.50 प्रतिशत थी. कॉल मनी रेट वह दर है जिस पर बैंक ओवरनाइट लोन लेते हैं. कॉल रेट में उछाल के साथ ट्राई-पार्टी रेपो डीलिंग और सेटलमेंट भी 4.24 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर के अंत तक लगभग 3.5 प्रतिशत था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-शेयर मार्केट में तेज गिरावट, सेंसेक्स 554 अंक गिरकर 60754 पर बंद, मारुति 4% टूटा
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