नई दिल्ली. मदरसे, वैदिक पाठशालाओं और गुरुकुल जैसे सभी शिक्षण संस्थान जो धार्मिक शिक्षा देते हैं, उन्हें भी शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी आरटीआई एक्ट 2009 के अधीन लाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (में याचिका लगाई गई है. इस याचिका के आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. नोटिस भेजकर हाईकोर्ट ने भारत सरकार और दिल्ली सरकार से इस मामले पर उनका उत्तर मांगा है.
यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी. याचिका में कई अलग-अलग मांग की गई है. जिनमें से एक है कि गुरुकुल और वैदिक स्कूलों को मदरसा और मिशनरी स्कूलों के समान मान्यता दी जाए. याचिका में कहा गया है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धाराएं एक (4) और एक (5) संविधान की व्याख्या करने में सबसे बड़ी बाधा हैं. मातृभाषा में समान पाठ्यक्रम का नहीं होना अज्ञानता को बढ़ावा देता है.
इसके अलावा समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की मांग की गई है. इस संबंध में याचिका में कहा गया है कि ‘समान शिक्षा प्रणाली लागू करना संघ का कर्तव्य है, लेकिन वह इस अनिवार्य दायित्व को पूरा करने में विफल रहा है. उसने 2005 के पहले से मौजूद राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे यानी एनसीएफ को अपना लिया है.
इस जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस डीएल पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च 2022 को होगी. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने पहले सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका लगाई थी. लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सुनवाई या कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. साथ ही इस मुद्दे को हाईकोर्ट लेकर जाने की सलाह दी थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में साहित्य मेला शुरू: 10 दिन चलने वाले इस आयोजन में कई लेखक और कलाकार होंगे शामिल
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