कुंडली में सूर्य राहु की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जाता

कुंडली में सूर्य राहु की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जाता

प्रेषित समय :20:39:11 PM / Thu, Feb 24th, 2022

कुंडली में इन  सूर्य राहु की युति को सामान्यतः शुभ नहीं कहा जा सकता.
सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करती है.
कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित शुभ फलों में न्यूनता कर देता है.
राहु ग्रह न होते हुए भी बहुत प्रभावी होता है. इस छाया ग्रह का इतना भयंकर असर होता है कि यह रंक से राजा और राजा से रंक बनाने की दम रखता है.
वैभव और समृद्धि देने पर उतरे तो अकूत संपदा दे देता है. यहां तक की, शुक्र जो कि लग्जरी के ग्रह हैं, उनसे भी अधिक लग्जरी दे देता है और यदि नाराज हो जाएं, तो ऐसा असाध्य रोग देते हैं कि सारी संपदा रोग दूर करने में स्वाहा जाती है और रोग आखिर प्राण भी ले लेता है.
लेकिन वहीं दूसरी ओर सूर्य और राहु दो ऐसे ग्रह हैं जो एक दूसरे से विपरीत होते हुए भी अनेक प्रकार से समान भी है, दोनों ही ग्रह का संबंध दार्शनिकता और राजनीति के कारक भी हैं.
पिता के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं, वैचारिक मतभेद होने की आशंका रहती है
ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में सूर्य और राहु की युति हो, वह सफल राजनेता भी होता है
मुख्यतया यह योग यदि नवम, दशम एवं एकादश भावों में हो तो राजनीति में सफलता दिलाता है
दोनों ग्रह राजनीति, प्रभुत्व एवं सत्ता के कारक ग्रह भी हैं
यह दोनों की युति पितृ दोष का निर्माण करती है
सूर्य और राहु दो ऐसे ग्रह हैं जो एक दूसरे से विपरीत होते हुए भी अनेक प्रकार से समान भी है, दोनों ही ग्रह का संबंध दार्शनिकता और राजनीति के कारक भी हैं.
यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के अंदर सूर्य-राहु कोई भी राशि में बैठा हो या किसी अन्य स्थान पर बैठा हो तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं.
सूर्य और राहु एक दूसरे से विपरीत ग्रह है. सूर्य यदि उजाला है तो राहु अंधकार है.
सूर्य सात्विक है तो राहु तात्विक है. सूर्य धर्म है तो राहु अधर्म है.
सूर्य नीति है तो राहु अनीति है. सूर्य भगवान है तो राहु राक्षस है.
लेकिन यह दोनों ग्रह दार्शनिकता और राजनीति के कारक भी माने गए हैं.
जब यह दोनों विपरीत शक्तियां आपस में एक दूसरे के सामने आती हैं तो वहां पर एक ग्रहण योग बनता है.
सूर्य-राहु की युति के कारण जातक के जीवन पर बहुत सारे सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं.
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इन सभी प्रकार के प्रभावों के बारे में पता होना अत्यंत आवश्यक होता है.
सूर्य-राहु युति के नकारात्मक असर
जातक का भाग्य ख़राब कर देता है
सूर्य-राहु युति के कारण जातक का भाग्य ख़राब हो जाता है. उसके जीवन मैं अनेकों प्रकार की समस्याएं और कठिनाइयां उत्पन्न होने लगती हैं.
उस व्यक्ति को काफ़ी संघर्ष और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अत्यधिक परेशानियों के कारण व्यक्ति हताशा और निराशा में भी घिर जाता है.
सभी परिचितों से संबंध बिगाड़ देता है.
हर इंसान के जीवन में उसके परिचित और रिश्तेदार बहुत अहमियत रखते हैं .
और इसीलिए उनके साथ मधुर संबंध भी बनाए रखना आवश्यक होता है.
परंतु सूर्य-राहु जब आपस में मिलते हैं तो ये दोनों जातक के संबंध उसके सभी रिश्तेदारों और जानने वालों से ख़राब कर देते हैं. दोस्तों और सहयोगियों से लड़ाई झगड़ा रहने लगता है.
पिता के स्वास्थ्य और भाग्य पर भी असर डालता है
सूर्य और राहु की युति का जातक के पिता पर भी अत्यधिक असर पड़ता है.
यह जातक के पिता के स्वास्थ्य और भाग्य को भी बहुत अधिक प्रभावित करता है.
पिता को स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां भी उत्पन्न होने लगती हैं और बीमारियां उपचार के बाद भी ठीक नहीं होती.
ऊर्जा की कमी पैदा करता है
जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण लगता है उसमें ऊर्जा की कमी हमेशा बनी रहती है क्योंकि सूर्य ऊर्जा है और राहु उस ऊर्जा को ग्रहण लगा कर कम कर देता है.
इसी वजह से जातक के जीवन में ऊर्जा की कमी बन जाती है.
सूर्य-राहु युति के सकारात्मक असर
व्यापार और आय के साधनों में वृद्धि के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान यदि सूर्य मंत्र, नारायण मंत्र, गायत्री मंत्र तथा गुरु मंत्र का जप और ध्यान कर लिया जाए तो कुंडली में मौजूद अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं. इसके साथ-साथ जातक की आय के साधनों में वृद्धि होने लगती है.
जातक को अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए राहु से संबंधित उपाय करना चाहिए.
राहु को शांत करने से जातक के जीवन के अनावश्यक कष्टों को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा जीवन की सभी नकारात्मक शक्तियां भी जातक से दूर रहती हैं.
राहु को शांत करने के लिए किसी जरूरतमंद को दान भी अवश्य दें.
51अभिमन्त्रिक चांदी के नाग नागिन के जोड़े बहते पानी मे बहा देवे!
सूर्य राहु युक्ति दोष शांति हेतु उज्जैन मे पूजा करवाये!
जातक को अपने जीवन मान-सम्मान और मानसिक वृद्धि के लिए स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
इसके साथ ही दीपदान भी करें, ऐसा करने से जातक के स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ता है और उसकी प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है.
सारी परेशानियां दूर होंगी
यदि आप पूजा-पाठ के द्वारा अपने जीवन से राहु को शांत कर लेते हैं तो जातक के जीवन में फिर जितनी भी परेशानियां हैं वह सब खत्म हो जाएंगी.
Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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