पटना. बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का दर्द छलका है. राज्यसभा में उन्होंने शिक्षा मंत्री से केंद्रीय विद्यालय से सांसद कोटा को खत्म करने की मांग की है. मोदी ने कहा है कि इसके कारण लोगों ने उनका जीना हराम कर दिया है. इस कोटे से वे सिर्फ 10 छात्रों का दाखिला करा सकते हैं और सैकड़ों की संख्या में लोग इसके लिए पहुंच जाते हैं.
इससे पहले भी एक बार वो इस पर अपना पक्ष रख चुके हैं. उनका मानना है कि यह मामला सांसदों के चुनाव हारने का एक बहुत बड़ा कारण भी बन रहा है. इसकी वजह से सांसदों के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है. इन सीटों को ओपन मेरिट पर छोड़ दिया जाना चाहिए, ताकि गरीब और सामान्य परिवारों के बच्चों को इसका लाभ मिल सके.
जरूरतमंद बच्चों को नहीं मिल पाता एडमिशन
उन्होंने कहा कि इसमें आरक्षण का भी कोई प्रावधान नहीं होता है और ऐसा करके आरक्षण के लाभार्थियों को हम इसके लाभ से वंचित कर रहे हैं. विवेकाधीन कोटे से दाखिले के कारण शिक्षकों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि एक-एक सांसद के पास हजार दो हजार लोग दाखिले के लिए आग्रह लेकर आते हैं लेकिन वह केवल 10 लोगों को ही खुश कर पाते हैं.
सांसद के पास 10 और स्रूष्ट के पास 17 का कोटा है
केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन के लिए राज्यसभा और लोकसभा के प्रत्येक सांसदों का 10 विवेकाधीन कोटा होता. इसके अलावा प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का 17 कोटा है.
इस हिसाब से सांसदों के पास 7,880 छात्रों के दाखिले का कोटा है, जबकि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के पास करीब 29,000 का कोटा है. यह विवेकाधीन कोटा प्रतिभा में पारदर्शिता के खिलाफ और बहुत अलोकतांत्रिक है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पटना में अपराधियों ने दो बच्चियों को पांचवीं मंजिल से फेंका, एक की मौत, भड़की हिंसा
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