मोदी सरकार रेलकर्मियों पर सख्त: सांसद, विधायकों से तबादले, पोस्टिंग की कराई सिफारिश तो खैर नहीं

मोदी सरकार रेलकर्मियों पर सख्त: सांसद, विधायकों से तबादले, पोस्टिंग की कराई सिफारिश तो खैर नहीं

प्रेषित समय :16:36:41 PM / Wed, Sep 14th, 2022

जबलपुर. रेलकर्मियों द्वारा पिछले कुछ समय से मनमाफिक तबादले व पोस्टिंग के लिए  माननीय सांसद/विधायकों (एमपी-एमएलए) से कराई जा रही सिफारिशों पर मोदी सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है. रेल मंत्रालय ने इस संबंध में सभी रेल जोनों को पत्र जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया है कि रेल कर्मचारियों द्वारा अपने मन के मुताबिक पदस्थापना व तबादला कराने के लिए सांसद, विधायकों से सिफारिशी पत्र लिखवाया जा रहा है, जो रेल सेवा नियमों का उल्लंघन है, ऐसे कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद पश्चिम मध्य रेल प्रशासन ने भी तीनों रेल मंडलों जबलपुर, भोपाल व कोटा के अलावा भोपाल व कोटा वर्कशाप प्रबंधन को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है.

दरअसल, रेल कर्मचारियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के सांसदों, विधायकों के अलावा कई जिम्मेदार अधिकारियों व रसूखदार व्यक्तियों से अपनी पोस्टिंग व तबादला मनवांछित स्थानों पर किये जाने का सिफारिशी पत्र लिखवाकर रेल प्रशासन पर दबाव डाला जाता रहा है, यह प्रवृत्ति पूरे देश में लगातार बढ़ रही है, साथ ही लगातार सांसदों, विधायकों व अन्य नेताओं के सिफारिशी पत्र मिलने से रेल अधिकारी धर्म संकट में पड़ जाते हैं. इस तरह के मामलों की जानकारी रेल मंत्रालय तक पहुंची, जहां से इस संबंध में आदेश जारी किये गये हैं.

यह है रेलवे सेवा (आचरण) नियम 1966 का नियम 20

गैर-सरकारी या अन्य प्रभाव का प्रचार- कोई भी रेल कर्मचारी सरकार के अधीन अपनी सेवा से संबंधित मामलों के संबंध में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी वरिष्ठ प्राधिकारी पर कोई राजनीतिक या अन्य प्रभाव डालने का प्रयास नहीं करेगा.

रेल मंत्रालय का निर्णय- रेल सेवकों को सलाह दी जाती है कि वे बारी-बारी से या उनकी सेवा से उत्पन्न होने वाले किसी भी मामले के संबंध में सांसदों और अन्य प्रभावशाली बाहरी लोगों के दबाव में आने से सख्ती से परहेज करें. ऐसी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग के प्रमुख के ध्यान में लाया जाएगा जैसा कि आवश्यक समझा जा सकता है.

-इसके बावजूद, यह देखा गया है कि कई रेलवे कर्मचारी सीधे माननीय MPs/MLAs या अन्य गैर-अधिकारियों को पत्र लिखकर सेवा मामलों जैसे स्थानांतरण, पोस्टिंग इत्यादि में अपना प्रभाव मांग रहे हैं. कर्मचारियों की ओर से यह अधिनियम का रेलवे सेवा (आचरण) नियम 1966 के नियम 20 के तहत उल्लंघन है. रेलवे ने स्पष्ट किया है कि सभी रेल सेवकों को तदनुसार ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए.

नहीं सुधरे तो होगी कार्रवाई

रेल प्रशासन ने विभाग प्रमुखों को कहा है कि इस तरह के मामलों को सभी अधिकारियों के संईज्ञईान में फिर से लाया जाए और इसके बाद भी यदि कोई उक्त आचरण नियमों का उल्लंघन करता है तो नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई की जा सकती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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