वैसे तो ज्योतिष विद्या में कई तरह के योग और कुंडली के दोष की चर्चा की गई है, परंतु कुछ दोष ऐसे हैं जिस पर अधिक चर्चा होती है और जिसके निवारण पर जोर दिया जाता है . शास्त्रो के अनुसार इन दोषों में से 6 खास दोषों के कारण जीवन में हर समय परेशानियां देते हैं.
1. कालसर्प दोष
2. मंगल दोष
3. पितृ दोष
4. गुरु चांडाल दोष
5. विष दोष
6. केन्द्राधिपति दोष
*1:-कालसर्प दोष : जन्म के समय ग्रहों की दशा में जब राहु-केतु आमने-सामने होते हैं और सारे ग्रह एक तरफ रहते हैं, तो उस काल को सर्पयोग कहा जाता है. इस आधार पर कालसर्प के 12 प्रकार भी बताए गए हैं. कुछ ने तो 250 के लगभग प्रकार बताए हैं.
*2:- मंगल दोष : किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह 'मांगलिक दोष' कहलाता है.
*3:-पितृ दोष : आचार्य आनन्द जालान के अनुसार कुंडली के नौवें में राहु, बुध या शुक्र है तो यह कुंडली पितृदोष की है. कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को शापित माना जाता है. गुरु का शापित होना पितृदोष का कारण है. सातवें घर में गुरु होने पर आंशिक पितृदोष माना जाता है. लग्न में राहु है तो सूर्य ग्रहण और पितृदोष, चंद्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर भी पितृदोष होता है. पंचम में राहु होने पर भी कुछ ज्योतिष पितृ दोष मानते हैं. जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है.
*4:-गुरु चांडाल दोष : कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु बैठा है तो इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं.
*5:-विष दोष : चंद्र और शनि किसी भी भाव में इकट्ठा बैठे हो तो विष योग बनता है.
*6:-केन्द्राधिपति दोष : केंद्र भाव पहला, चौथा, सातवां, और दसवां भाव होता है. मिथुन और कन्या लग्न की कुंडली में यदि बृहस्पति पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में हो, धनु और मीन लग्न की कुंडली में बुध पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में हो तो केन्द्राधिपति दोष का निर्माण होता है. दरअसल, बृहस्पति, बुध, शुक्र, और चंद्रमा के कारण यह दोष बनता है.
* ज्योतिष आचार्य आनन्द जालान, दिल्ली निवासी
जन्म कुंडली में सिर्फ विंशोत्तरी दशा ही महत्वपूर्ण क्यों?
धन योग: कुंडली में मौजूद यह योग बना सकता है आपको रंक से राजा!
जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य-बुध-शुक्र की युति
जन्म कुंडली में मंगल की अंतर्दशा का फल
जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों के अस्त होने का फल
जन्म कुंडली एवं चलित नाम राशि के अनुसार करें संक्रान्ति पर्व में दान
Leave a Reply