प्रत्येक व्यक्ति की चाह होती है कि उसका जीवन धन-धान्य और समृद्धि से पूर्ण हो लेकिन सबकी ये कामना पूरी नहीं होती है. क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानना चाहते हैं? इसका जवाब वैदिक ज्योतिष के साथ-साथ किसी व्यक्ति की कुंडली की गहराइयों में छिपा है. अधिकतर लोगों को ज्योतिषियों से ये सवाल पूछते हुए देखा जा सकता है कि उनकी आर्थिक स्थिति कैसी होगी और क्या उनको आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति होगी या नहीं. अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में जानना सभी के लिए महत्वपूर्ण विषय होता है. ग्रहों की चाल और दशा के संयोजन से कई बार शुभ और शक्तिशाली योगों का निर्माण होता है जिससे जातक को प्रसिद्धि, समृद्धि, विलासिता, शक्ति और पद आदि की प्राप्ति होती हैं. समस्त राजयोगों में से एक “धन योग” भी हमेशा से चर्चा का विषय रहा है और इस राजयोग को हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा सूचीबद्ध किया गया है.
ज्योतिष में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग होते हैं जो किसी व्यक्ति की कुंडली में बनने वाले योग के आधार पर अच्छे और बुरे परिणाम प्रदान करते हैं. भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुल 32 प्रकार के योग हैं जिन्हें राजयोग के तौर पर बांटा जा सकता है लेकिन याद रखें कि किसी एक इंसान की कुंडली में ये सभी 32 राजयोग नहीं बन सकते हैं.
क्या होता है धन योग?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब भी धन, लाभ और संपत्ति की बात की जाती है तो कुंडली में दूसरा और ग्यारहवां भाव देखा जाता है. अगर पहले, पांचवें और नौवे भाव के स्वामी जिन्हें त्रिकोण भाव के नाम से भी जाना जाता है, दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी के साथ युति में शामिल हो जाते हैं तो धन योग का निर्माण होता है. यदि ग्यारहवें भाव के स्वामी दूसरे भाव में और दूसरे भाव के स्वामी ग्यारहवें में हो तो बेहद शुभ योग बनता है जिसे धन योग के नाम से जाना जाता है.
हालांकि, इन भावों और इनके स्वामियों के अलावा ऐसे दो ग्रह हैं जिनकी स्थिति शुभ और फलदायी हो, तो जातक को धन-दौलत और विलासिता से पूर्ण जीवन देने की क्षमता रखते हैं. यहाँ हम बात कर रहे हैं शुक्र और बृहस्पति की इसलिए किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की गणना करते समय इन दोनों ग्रहों की स्थिति का भली प्रकार से विश्लेषण करना चाहिए.
कुंडली में कैसे बनता है धन योग?
जैसे कि हम जानते हैं कि जब पांच भावों यानी कि लग्न भाव या पहले, दूसरे, पांचवें, नौवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी आपस में युति करते हैं, एक-दूसरे पर दृष्टि डालते हैं या एक-दूसरे की राशि में प्रवेश करते हैं उस समय धन योग बनता है. अब हम बात करेंगे उन सामान्य स्थितियों के बारे में जब कुंडली में धन योग का निर्माण होता है.
जब ग्यारहवें भाव के स्वामी दूसरे भाव और दूसरे भाव के स्वामी ग्यारहवें भाव में बैठे हो लेकिन इनमें से कोई भी स्वामी अपनी नीच राशि में विराजमान नहीं होना चाहिए. उदाहरण के तौर पर मिथुन राशि के ग्यारहवें भाव के स्वामी मंगल हैं और कर्क राशि के दूसरे भाव में ये नीच अवस्था में हैं, तो ऐसे में कुंडली में बन रहा धन योग मान्य नहीं होगा. अगर कुंडली में कोई अन्य शुभ योग नहीं बन रहा है, तो जातक को धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.
एक अन्य अवस्था में जब नौवें भाव के स्वामी ग्यारहवें भाव के स्वामी के साथ युति करते हैं या फिर दृष्टि डालते हैं.
जब लग्न भाव और ग्यारहवें भाव के स्वामी आपस में युति करते हैं.
यदि लग्न भाव के स्वामी और दूसरे भाव के स्वामी युति कर रहे होते हैं या एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हो.
जब नौवें भाव और दूसरे भाव के स्वामी की युति हो रही हो या फिर ये दोनों एक-दूसरे की राशि में प्रवेश कर लें.
यदि बृहस्पति या शुक्र उच्च राशि में हो या फिर अपने स्वामित्व वाली राशि के पहले, दूसरे, पांचवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में स्थित हों.
व्यक्ति के जीवन को धन योग कैसे प्रभावित करता है?
अगर हम धन योग के प्रभावों की बात करें तो, अमिताभ बच्चन, बिल गेट्स जैसे कुछ मशहूर हस्तियों की कुंडली में “धन योग” मौजूद हैं और इन लोगों की शानो-शौकत और अमीरी के बारे में दुनिया जानती है. आइये जानते हैं जिन लोगों की कुंडली में धन योग होता है उनके जीवन को यह योग कैसे प्रभावित करता है.
इन लोगों में व्यापार करने का शानदार हुनर होता है और ये अपने बिज़नेस का विस्तार करने के लिए बहुत सोच-समझकर जोखिम उठाने से भी पीछे नहीं हटते हैं.
यदि पांचवें और नौवें भाव के स्वामी मिलकर धन योग का निर्माण कर रहे हैं तो व्यक्ति काफ़ी शिक्षित होता है. साथ ही, यह लोग धन कमाने के लिए अपने ज्ञान और अपनी क्षमताओं का उपयोग करने में भी सक्षम होते हैं.
यदि कुंडली में दूसरे भाव के स्वामी के शामिल होने से धन योग का निर्माण हो रहा है तो जातक आय के नए स्रोत बनाने में सक्षम होता है. हालांकि, दूसरे भाव के स्वामी पर किसी प्रकार का अशुभ प्रभाव होने से ये व्यक्ति को लालची बना सकता है.
धन योग के निर्माण में अगर ग्यारहवें भाव का स्वामी शामिल होता है तो ऐसे लोगों का प्रोफेशनल नेटवर्क काफ़ी मज़बूत होता है और इन लोगों की जान-पहचान में अधिकारी वर्ग और उच्च पद पर आसीन लोग शामिल होते हैं जो कि इन जातकों को जीवन में सफलता हासिल करने में मदद कर सकते हैं.
अगर आपकी कुंडली में ऊपर बताये गए ग्रहों या भावों के स्वामी साथ बैठे हुए हैं लेकिन
धन योग: धन-धान्य और समृद्धि में वृद्धि के लिए करें राशि अनुसार ये उपाय
मेष: आर्थिक स्थिरता पाने के लिए मेष राशि के जातकों को तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें एक चुटकी कुमकुम डालकर सूर्य देव को अर्पित करें. प्रत्येक शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें लाल फूल चढ़ाएं. बृहस्पतिवार के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें.
वृषभ: वृषभ राशि के जो जातक धन से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनके लिए बेहतर होगा कि वह किन्नरों से आशीर्वाद लें और पक्षियों को दाना डालें. साथ ही, कंस्ट्रक्शन पर काम कर रहे श्रमिकों को भोजन कराएं और प्रतिदिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. .
मिथुन: मिथुन राशि के जातकों के लिए प्रतिदिन शिव जी का पूजन फलदायी साबित होगा. यदि आप हर रोज़ शिव जी की उपासना नहीं कर सकते हैं तो प्रत्येक सोमवार महादेव की पूजा करें. साथ ही, माँ लक्ष्मी की आराधना करें और निर्धनों को उड़द दाल की खिचड़ी दान करें. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का जाप करना लाभदायी होगा.
कर्क: सूर्य देव की पूजा करें और प्रतिदिन आदित्य स्तोत्र का पाठ करें. विष्णु जी की कृपा पाने के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना श्रेष्ठ रहेगा. साथ ही, मंदिर में दही या दूध का दान करें.
सिंह: गायों को हरा चारा और पक्षियों को दाना खिलाएं. संभव हो तो ज्योतिषी की सलाह के बाद पन्ना धारण करें. साथ ही, संकटमोचन हनुमान की पूजा करें और उन्हें चमेली का तेल और फल अर्पित करें.
कन्या: गरीबों को कपड़े दान करें. देवी लक्ष्मी की पूजा करें और पूजा में अर्पित चावल तथा दूध से बनी मिठाई का माता को भोग लगाकर मंदिर में पुजारी को दान करें. ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद, यदि संभव हो तो हीरा धारण करें.
तुला: गरीबों को खीर या दूध से बनी मिठाइयों का दान करें. भगवान शिव की पूजा करें और प्रतिदिन आदित्य स्तोत्र का पाठ करें. इन उपायों को नियमित रूप से करने पर तुला राशि वालों को निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा.
वृश्चिक: वृश्चिक राशि के जातक हर बृहस्पतिवार के दिन गुड़ और चने की दाल निर्धन लोगों को दें और स्वयं भी इसका प्रसाद के रूप में भोग लगाएं. साथ ही, गायों को केला खिलाएं. चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” का जाप करें.
धनु: गरीबों को जूतों का दान करें. साथ ही, प्रतिदिन हनुमान चालीसा और आदित्य स्तोत्र का पाठ करें. धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें लाल फूल चढ़ाएं. शुक्रवार के दिन गरीबों को मिठाई दें. इन उपायों को करना धनु राशि वालों के लिए बेहतर साबित होगा.
मकर: मकर राशि वाले काले रंग के जूते गरीबों को दान करें और छोटी कन्याओं को खीर खिलाएं. पक्षियों को मूंग की दाल और बच्चों को फल दें. साथ ही, हनुमान जी के आगे चमेली के तेल का दीपक जलाएं.
कुंभ: गाय को केले और चने की दाल तथा पक्षियों को मूंग की दाल खिलाएं. ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद हीरा या नीलम रत्न धारण करें.
मीन: प्रतिदिन हनुमान मंदिर जाएं और भगवान के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं. चंद्रमा के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें और गरीबों को भोजन खिलाएं. इस राशि के लोगों के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी फायदेमंद साबित होगा.
भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष
Astrology By Bhoj Sharma
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