Jabalpur: समरसता के विचार को पुनर्जीवित करना सराहनीय कार्य, केवट जयंती पर ज्ञानेश्वरी दीदी ने कहा

Jabalpur: समरसता के विचार को पुनर्जीवित करना सराहनीय कार्य, केवट जयंती पर ज्ञानेश्वरी दीदी ने कहा

प्रेषित समय :20:30:44 PM / Mon, May 15th, 2023

पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में केवट जयंती के अवसर पर सामाजिक समरसता सेवा संगठन द्वारा विचार गोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रुप में ज्ञानेश्वरी दीदी ने कहा कि समरसता की विचार धारा को पुनर्जीवित करने का कार्य समरसता सेवा संगठन द्वारा किया जा रहा है यह सराहनीय कार्य है. इस मौके पर शिवनारायण पटेल, अशोक बिल्थिरिया व संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन मंचासीन रहे.

दीदी ज्ञानेश्वरी ने कहा किसी भी राष्ट्र का कल्याण करने उसमे उस राष्ट्र की जनजातियां होती है. उन्होंने कहा हमारे देश मे एक राष्ट्र पुरूष की कल्पना की गई है. जिस तरह मनुष्य के पांच कोश होते है. उसी तरह राष्ट्र पुरुष के भी पांच कोश होते है. जिनमे पहली होती है राष्ट्र की सीमाएं, दूसरी उनके प्राण के रूप में जनजाति है. इनका सामर्थ्यवान और शक्तिशाली होना आवश्यक है. राष्ट्र पुरुष का तीसरा कोश उसकी भाषा होती है. राष्ट्र पुरूष का चौथा कोश उसकी संस्कृति होती है और पांचवा कोश उसका धर्म होता है. जब हमारे राष्ट्र की सीमायें सुरक्षित होगी हमारी जनजातियों के बच्चे शिक्षित होंगे हमारी भाषा एक होगी हमारी संस्कृति का ज्ञान अगली पीढ़ी को होगा और हम अपने धर्म को लेकर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित ही व्यक्तिए समाज और राष्ट्र की उन्नति होगी. जब तक यह सारे अंग सुज्जित और पुष्ठ नही होंगे राष्ट्र आगे नही बढ़ सकता है. उन्होंने कहा आज हम महात्मा केवट की जयंती मना रहे है. केवट जी पूर्व जन्म में राजा थे जिन्होंने त्रेता युग मे केवट के रूप में जन्म लिया. इसी तरह पूर्व काल मे किसी तरह की जाति नही थी किन्तु किसी कारण वश यदि उन्हें राज्य से बाहर निकाला गया तो वह अलग अलग कार्य करने लगे तो उन्हें कार्य के हिसाब से जाति वर्ग में बंट गए और कुछ लोगो ने जाति समुदाय में देश को बांट दिया पर प्रसन्नता है कि समरसता सेवा संगठन द्वारा सामजिक सेवा के परिपेक्ष्य में समरसता जैसे महत्वपूर्ण कार्य को कर रहे है.

 कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता श्री शिवनारायण पटेल ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक अपने विचारों और कार्यो को ले जाने की हमारी सनातन काल से परम्परा रही है. समरसता हमारी सनातन परंपरा रही है किंतु कालांतर में इससे हम दूर होते गए और जैसा कि हमारे संतोए महापुरुषों और आराध्य ने जो संदेश सभी के लिए दिया था वह जाति समुदाय विशेष में सीमित होकर रह गया. आज समरसता सेवा संगठन द्वारा सामजिक समरसता के लिए प्रसंशनीय और अनुकरणीय कार्य की शुरुआत की गई है. केवट जी की जयंती हम मना रहे है और केवट जी श्रम के प्रतीक है और भगवान श्रीराम भाव के प्रतीक है और भगवान ने इस अवसर पर केवट जी के सिर पर हाथ रख और वही से रामराज्य की शुरुआत हुई क्योकि गंगा पार कराने वाले पर भव सागर पार कराने वाले ने अपना  हाथ रखा है. राम के सहारे हम भी पार लगेंगे और दूसरों को भी पार लगाएंगे. कार्यक्रम का संचालन सचिव उज्ज्वल पचौरी एवं आभार अरुण अग्रवाल ने व्यक्त किया. इस अवसर पर मथुरा प्रसाद चौबे, संजय गोस्वामी, डॉ आनंद राणा, पंकज दुबे, राजीव राठौर, विनीत तिवारी, राजेश तिवारी, चंद्रशेखर शर्मा, शरद ताम्रकार, संतोष झारिया, राजेश ठाकुर, सौरभ श्रीवास्तव, बालकृष्ण पटेल, विजय यादव, विवेक चौबे, विनीत यादव, सनी रोहरा, रामेश्वर चौधरी, अभिषेक तिवारी, राहुल दुबे, सुरेंद्र शर्मा, आर्यन मिश्रा, गौरव मांझी, अविनाश जैन, पुष्पराज पटेल आदि उपस्थित थे.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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